Budget 2019: चीन का मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में टूटेगा वर्चस्व, मोदी सरकार ने बजट में उठाए ये कदम
पिछले काफी समय सम अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ा हुआ है। ऐसे में कई कंपनियां जो चीन में विर्निमाण करती हैं उनके सामने काफी चुनौतियां आ रही हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। विश्व मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में चीन का दबदबा है। भारत 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत पिछले कुछ सालों में अपने इरादे विश्व के सामने जाहिर कर चुका है। अमेरिका और चीन के बीच छिड़े 'ट्रेड वॉर' के मद्देनजर अब मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में चीन के वर्चस्व से टक्कर लेने के लिए मोदी सरकार ने बजट 2019 में कुछ विशेष कदम उठाए हैं। मोदी सरकार पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से वैश्विक कंपनियों को भारत में आमंत्रित करने के लिए एक योजना शुरू करने जा रही है। भारत में निर्माण करने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट देने का भी प्रस्ताव है।
भारत सरकार ने वैश्विक कंपनियों को मेगा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने की योजना बनाई है। यह एक ऐसा कदम है, जो चीन के साथ अमेरिकी के ट्रेड वॉर के समय काफी महत्व रखता है। इस योजना के कारण कई कंपनियां चीन पर अपनी विनिर्माण निर्भरता पर पुनर्विचार करने के लिए विवश हो जाएंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार खुद को उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मेगा निवेश के लिए तैयार कर रही थी और अब वो समय आ गया है।
यह योजना भारत के विनिर्माण आधार (manufacturing base) को बढ़ाने में तो मदद करेगी ही साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' योजना को भी आगे ले जाएगी जिसका उद्देश्य साल 2020 तक अर्थव्यवस्था के 25 फीसद तक विनिर्माण को बढ़ाना है। साथ ही इस योजना का बड़ा उद्देश्य चीन-अमेरिका ट्रेड वार के कारण खाली हुए क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ाना भी है। सरकार ने ऐसी 150 से अधिक वस्तुओं को चिह्नित किया है जिनमें निर्यातक चीन के साथ व्यापार बढ़ा सकते हैं। इन वस्तुओं में पैक्ड आलू, पॉलीयेस्टर्स के सिंथेटिक स्टेपल फाइबर, टी-शर्ट, हाइड्रोलिक पावर इंजन और मोटर्स के सूपरचार्जर शामिल हैं।
सीतारमण ने कहा, 'सरकार उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों जैसे अर्ध-चालक निर्माण (Semi-conductor Fabrication), सौर फोटोवोल्टिक कोशिकाएं, लीथियम बैटरी, सोलर इलेक्ट्रिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, कंप्यूटर सर्वर, लैपटॉप के निर्माण हेतु संयंत्र स्थापित करने के लिए पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से वैश्विक कंपनियों को आमंत्रित करने की योजना शुरू करेगी।' उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी कंपनियों को आयकर अधिनियम और अन्य अप्रत्यक्ष कर लाभों के तहत कर छूट प्रदान करेगी।
बता दें कि पिछले काफी समय सम अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ा हुआ है। ऐसे में कई कंपनियां, जो चीन में विर्निमाण करती हैं, उनके सामने काफी चुनौतियां आ रही हैं। ऐसे अगर मोदी सरकार का दांव अगर सही पड़ता है, तो कई बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर सकती है। इससे चीन का झटका लग सकता है, क्योंकि विर्निमाण के क्षेम में चीन का वर्चस्व है।
मोदी सरकार ने भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों का विनिर्माण हब बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 'फेम योजना' पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि फेम योजना के दूसरे चरण में आधुनिक बैटरी और पंजीकृत ई-वाहन की खरीद के लिए छूट दी जाएगी। फेम योजना का दूसरा चरण 1 अप्रैल, 2019 से प्रारंभ हो गया है। इस योजना के तहत तीन वर्षों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को प्रोत्साहन देना है। इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद तथा इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की अवसंरचना स्थापित करने के लिए रियायत दी जाएगी। इस योजना के तहत केवल आधुनिक बैटरियों और पंजीकृत ई-वाहनों को ही रियायत दी जाएगी। इस योजना का लक्ष्य लोगों को किफायती और पर्यावरण अनुकूल सार्वजनिक परिवहन का विकल्प प्रदान करना है।
फेम योजना में सोलर स्टोरेज बैटरी और चार्जिंग अवसंरचना को शामिल करने से विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इन वाहनों के विनिर्माण से भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के हब के रूप में विकसित होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है। इन वाहनों को किफायती बनाने के लिए सरकार, इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए प्राप्त ऋण की ब्याज अदायगी में 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त आयकर छूट देगी। करदाताओं को इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद पर लगभग 2.5 लाख रुपये का लाभ मिलेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों के कुछ कलपुर्जों पर सीमा शुल्क से मुक्त रखे जाने का प्रस्ताव है।