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Budget 2020: म्युचुअल फंड उद्योग की मांग, बॉन्ड में निवेश वाली बचत योजनाओं पर बजट में कर-छूट मिले

संगठन ने जीवन बीमा कंपनियों की यूलिप और इक्विटी म्युुचुअल फंड को समान स्तर पर लाने का भी आग्रह किया है।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 06:46 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:32 PM (IST)
Budget 2020: म्युचुअल फंड उद्योग की मांग, बॉन्ड में निवेश वाली बचत योजनाओं पर बजट में कर-छूट मिले
Budget 2020: म्युचुअल फंड उद्योग की मांग, बॉन्ड में निवेश वाली बचत योजनाओं पर बजट में कर-छूट मिले

नई दिल्ली, पीटीआइ। म्युचुअल फंड कंपनियों संगठन एएमएफआई ने बॉन्ड में निवेश को बढ़ावा देने के लिए बजट में डेट लिंक्ड सेविंग स्कीम पर कर में छूट चाहता है। संगठन का मानना है कि इससे बॉन्ड बाजार का दायरा बढ़ेगा। साथ ही म्युचुअल फंड उद्योग ने दीर्घकालीन पूंजी लाभ के उद्देश्य से सोना और जिंस ईटीएफ में बने रहने की अवधि मौजूदा तीन साल से कम कर एक साल करने का अनुरोध किया है। उद्योग संगठन ने वित्त मंत्रालय को बजट के लिए प्रस्ताव भेजा है जिसमें उसने मांग की है कि सरकार विशेषीकृत दीर्घकालीन संपत्ति के रूप में म्युचुअल फंड को मान्यता के साथ दीर्घकालीन पूंजी लाभ के लिए योग्य करार दे। संगठन ने जीवन बीमा कंपनियों की यूलिप और इक्विटी म्युचुअल फंड को समान स्तर पर लाने का भी आग्रह किया है। 

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एएमएफआई ने म्युचुअल फंड में निवेश करने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), एनपीएस और बीमा कंपनियों को लाभांश वितरण कर से छूट देने का भी आग्रह किया। साथ ही श्रेणी तीन के अंतर्गत आने वाले वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) जो लिस्टेड शेयरों में 65 फीसद निवेश करते हैं, उन्हें ‘पास थ्रो’ का दर्जा दिया जाना चाहिए। 

पास थ्रो दर्जा का मतलब यह है कि निवेशकों के पास निवेश से जो आय मिली हो उसी पर कर लगे न कि फंड को उस पर कर देना पड़े। संगठन के मुख्य कार्यकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, 'एएमएफआई का सुझाव पिछले कुछ साल से बजट प्रस्ताव में है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार हमारी लंबित मांगों का समाधान होगा। इससे देश में म्युचुअल फंड को न केवल अगले स्तर तक ले जाने में मदद मिलेगी बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

खासकर बॉन्ड बाजार का दायरा बढ़ने से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। बुनियादी ढांचा के लिये दीर्घकालीन कोष की उपलब्धता होगी और शुद्ध रूप से सोने में निवेश के बजाए स्वर्ण ईटीएफ में निवेश होने से राजकोषीय घाटा भी कम होगा।' उन्होंने कहा कि कुछ प्रस्तावों का मकसद म्युचुअल फंड को निवेश के दूसरे विकल्पों के समरूप बनाना और खुदरा निवेशकों के लिए इस क्षेत्र को और अनुकूल बनाना है।


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