जीएसटी के प्रावधान होंगे थोड़े नरम, 2 करोड़ तक का टैक्स चुराने वालों को मिलेगी तुरंत जमानत
केंद्र और राज्य सरकारों ने 2 करोड़ रुपए तक की टैक्स चोरी के मामलों में प्रावधानों में नरम बरतनें का फैसला किया है।
नई दिल्ली। जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को विवादों से मुक्त रखने के लिए सरकार कर चोरी से जुड़े प्रावधानों को नरम कर सकती है। अब केंद्र और राज्य सरकारों ने 2 करोड़ रुपए तक की कथित टैक्स चोरी के मामलों में प्रावधानों को थोड़ा और नरम बनाने का फैसला किया है। नरमी के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे मामलों में ट्रेडर्स को तुरंत जमानत मिल जाए। गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की बीती बैठक में संकेत मिले हैं कि जीएसटी कानून 1 जून से लागू हो सकता है।
वस्तु एवं सेवा कर को लेकर बनाई गई जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में यह फैसला लिया गया था कि ऐसे मामलों में गिरफ्तार के प्रावधानों को धोखाधड़ी और जमा किए गए टैक्स को तय समय तक सरकारी खजाने में जमा न करने जैसे मामलों तक ही सीमित रखा जाएगा। आपको बता दें कि आईपीसी 1860 के अंतर्गत जालसाजी और धोखाधड़ी गैर जमानती अपराध हैं, जिसका मतलब है कि कोर्ट द्वारा ऐसे मामलों में जमानत नहीं दी जा सकती।
टैक्स क्रेडिट से जुड़ी गलत जानकारी या रिफंड और डॉक्यूमेंट्स देने में नाकाम रहने जैसे अधिकांश अपराधों में गिरफ्तारी नहीं होगी, लेकिन जुर्माना जरूर लग सकता है। पूर्व में रिवाइज्ड ड्राफ्ट जीएसटी लॉ में ऐसे मामले में मुकदमे का प्रावधान था।
जमानती अपराध होगी 2 करोड़ रुपए तक की कर चोरी:
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘2 करोड़ रुपए तक की धनराशि वाले अपराधों में गिरफ्तार किया गया व्यक्ति जीएसटी कानूनों के उल्लंघन पर जमानत का हकदार होगा। जीएसटी में कार्रवाई के प्रावधान इंडियन पीनल कोड (भारतीय दंड संहिता) के प्रावधानों की तुलना में नरम होंगे।’