ट्रांसपोर्टर्स फिर से टकराव की राह पर
सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) ने 13 सूत्री मांगों को लेकर 20 अप्रैल से चक्का जाम का एलान किया है
नई दिल्ली: ट्रांसपोर्टर क्षेत्र एक बार फिर सरकार से टकराव की राह पर हैं। चूंकि चक्का जाम की तारीखों व मांगों को लेकर विभिन्न ट्रांसपोर्ट यूनियनों में एकता की कमी है, लिहाजा सरकार उनकी सभी मांगों के आगे झुकेगी, इसमें संदेह है। लेकिन थर्ड पार्टी मोटर प्रीमियम में बढ़ोतरी जैसे उपभोक्ता विरोधी प्रस्ताव के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों को जनता का समर्थन मिल सकता है।
सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) ने 13 सूत्री मांगों को लेकर 20 अप्रैल से चक्का जाम का एलान किया है। जबकि इसी की दक्षिण भारतीय शाखा के अलावा दूसरी यूनियन अकोगोवा पहली अप्रैल से ही हड़ताल पर जा रही है। अकोगोवा की केवल तीन मांगे हैं। लेकिन थर्ड पार्टी प्रीमियम पर तकरीबन सभी ट्रांसपोर्ट यूनियनों की राय एक है। सभी प्रस्तावित बढ़ोतरी के खिलाफ हैं।
अकोगोवा के मुताबिक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस महज उन लोगों की लूट का जरिया बन कर रह गया है, जो बढ़े-चढ़े दावों के जरिये बीमा कंपनियों को चूना लगाते हैं। बीमा कंपनियां हर साल दो साल में प्रीमियम दरें बढ़ाकर इसकी सजा मोटर मालिकों को देती हैं। ओवरआल प्रीमियम दरें जरूरत से ज्यादा न हों, इसके लिए उन्होंने फ्लीट ओनर्स को प्रीमियम पर 50 फीसद तक की छूट देना शुरू कर दिया है। लेकिन 70 फीसद छोटे ऑपरेटर तथा यूड वाहन खरीदारों को कोई रियायत नहीं मिलती। बीमा कंपनियों के कार्टेल के कारण जहां पिछले दस सालों में मोटर प्रीमियम दरें आठ गुना तक बढ़ी हैं। वहीं बड़े कॉरपोरेट घरानों की प्रॉपर्टी इंश्योरेंस की दरें घट गई हैं।
अकोगोवा की अन्य मांग मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2016 के तहत बढ़ाई गई जुर्माने की विभिन्न दरों में कमी करना है। पहली जनवरी, 2017 से बढ़ाई गई लाइसेंस व फिटनेस टेस्ट की दरों पर पुनर्विचार करने की मांग भी प्रमुख है। एआइएमटीसी ने 10 अतिरिक्त मांगें जोड़ दी हैं।
हर मांग से सहमत नहीं विशेषज्ञ
यह अलग बात है कि परिवहन विशेषज्ञ ट्रांसपोर्टरों की हर मांग से सहमत नहीं हैं। इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक एसपी सिंह के अनुसार थर्ड पार्टी मोटर प्रीमियम व वाहन स्कै्रप नीति जैसे चंद मुद्दों को छोड़ सरकार को ट्रांसपोर्टरों की किसी फालतू मांग के आगे नहीं झुकना चाहिए तथा परिवहन सुधार के एजेंडे को सख्ती से लागू करना चाहिए।