जीएसटी से पहले स्टॉक क्लीयरेंस में जुटे कारोबारी
जीएसटी में स्टॉक चेकिंग का प्रावधान भी रखा गया है
नई दिल्ली (मुनीश शर्मा)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए भले ही सरकार और विशेषज्ञ कैंप लगाकर लोगों को जानकारियां दे रहे हैं, मगर लोगों के मन में अभी इसको लेकर कई शंकाएं बनी हुई हैं। व्यापारियों को यह संदेह है कि उनके स्टॉक पर जीएसटी लगने के बाद देय कर वसूला जा सकता है। ऐसे में बहुत से उद्योगपति अपना स्टॉक क्लीयर करने में जुट गए हैं। इसका पहला बड़ा कारण है कि जीएसटी में स्टॉक चेकिंग का प्रावधान भी रखा गया है। दूसरी मुख्य वजह यह है कि अमूमन असंगठित क्षेत्र की ओर से किताबी हिसाब से ज्यादा स्टॉक रखा जाता है। ऐसी स्थिति में इस सेक्टर की अब सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं जीएसटी के दायरे में आने के बाद उन्हें नए कानून के मुताबिक बड़े जुर्माने न देने पड़ें। जहां तक इस क्लीयरेंस का सवाल है, तो इसके कारण मंदी के संकेत से इंडस्ट्री को डर भी सता रहा है।
कच्चे माल पर टैक्स देकर फिनिशड में मिलेगी राहत
बाल महाजन एंड कंपनी के सीए नितिन महाजन के मुताबिक साइकिल व होजरी के अलावा स्टील से जुड़े उत्पादों आटो पार्टस, हैंडटूल, और कृषि उत्पाद में कच्चे माल के लिए एक्साइज ड्यूटी व सीएसटी देकर इसे प्रोडक्ट वैल्यू में शामिल कर कॉस्टिंग को बढ़ाना पड़ता था। अब नए जीएसटी सिस्टम में सीएसटी, एक्साइज, आयात शुल्क और वैट का क्लेम मिलेगा। नतीजतन फिनिश्ड गुड्स मार्केट में कम दामों में उपलब्ध होंगे। अनुमान के मुताबिक इन सेगमेंट से जुड़े फिनिश्ड गुड्स के दाम 10-15 प्रतिशत कम होने की उम्मीद है। इसके चलते असंगठित बाजार अपने बचे हुए स्टॉक को क्लीयर करने में जुटा है। जीएसटी लगने के बाद अपने स्टॉक पर हर किसी को हिसाब देना होगा। बिना बिल के असंगठित बाजार के उत्पादों पर किसी प्रकार का सीएसटी, एक्साइज और वैट का क्लेम नहीं मिलेगा। अभी होजरी व टेक्सटाइल में तीन जून को जीएसटी की दरें तय होंगी। इससे पता चलेगा कि अभी तक टैक्स के दायरे से बाहर रहे इस सेक्टर को अब इसके भीतर लाया जाएगा या नहीं। इसके साथ ही जो स्टॉक 30 जून को बच जाएगा और अधिकतम एक साल पुराना होगा, उसकी 30 दिनों के भीतर बिल सहित पूरी जानकारी देनी होगी। इस पर जो भी टैक्स दिए गए होंगे। उनका क्रेडिट दिया जाएगा।