देश की इस दिग्गज कंपनी में नहीं होगा कोई भी बॉस, जानिए क्यों!
ऑफिस में रचनात्मक माहौल के लिए टाटा मोटर्स ने एक गजब का फैसला किया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। कर्मचारियों के बीच रचनात्मक माहौल पैदा करने के लिए टाटा मोटर्स ने बड़ा फैसला किया है। कंपनी ने लगभग सारे पद खत्म कर दिए हैं। गौर करने वाली बात है कि टाटा मोटर्स आय के मामले में देश की सबसे बड़ी वाहन कंपनी है, लेकिन कार और एसयूवी बाजार में उसकी हिस्सेदारी कम है।
इस बदलाव से टाटा मोटर्स के 10 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। नैनो विफल होने के बाद हाल के कुछ महीनों में कंपनी कई नए मॉडल भी बाजार में उतारे, लेकिन वे उतने सफल नहीं हुए जितनी उम्मीद की गई थी। बहरहाल, टाटा मोटर्स ने कंपनी के अंदर रचनात्मक माहौल पैदा करने और टीम वर्क को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीति अपनाई है।
कंपनी के एक प्रवक्ता ने यह भी बताया कि हालांकि प्रबंध निदेशक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और नेतृत्व टीम के अन्य सदस्यों समेत कार्यकारी समिति के लोग अपने पदनाम का उपयोग कर पाएंगे।
फैसले का उद्देश्य:
- टाटा मोटर्स के मुताबिक, इससे समानता को बढ़ावा मिलेगा। कंपनी की तरफ से खत्म किए गए ओहदों में जनरल मैनेजर, सीनियर जनरल मैनेजर, डिप्टी जनरल मैनेजर, उपाध्यक्ष और वरिष्ठ उपाध्यक्ष जैसे अहम पद शामिल हैं।
- एक सर्कुलर के जरिए कंपनी ने अपने कर्मचारियों को यह जानकारी दी थी। कर्मचारियों के लिए जारी सर्कुलर में टाटा मोटर्स ने कहा है कि उससे वे ओहदे और पदानुक्रम की मानसिकता से मुक्त हो सकेंगे।
- मैनेजर को 'हेड' का दर्जा दिया जाएगा। उनके नाम के बाद उनके विभाग का नाम दिया जाएगा यानी मैनेजर अब एक तरह से टीम हेड कहलाएंगे।
- इसके अलावा सबसे निचले स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों के नाम के साथ उनका विभाग जुड़ा होगा।
- टाटा मोटर्स के एक प्रवक्ता ने कहा- हमने कंपनी में हेरार्की (पदानुक्रम) फ्री संस्कृति विकसित करने के लिए नो डेजिग्नेशन पॉलिसी अपनाई है। तगड़ी प्रतिस्पर्धा वाले मौजूदा बाजार में कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा करना जरूरी था।
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