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पुराने वाहनों पर सरकार का यू-टर्न सोची-समझी रणनीति

पुरानी डीजल गाड़ियों को हटाने के मामले में केंद्र सरकार के यू-टर्न से स्वैछिक वाहन आधुनिकीकरण योजना (वीवीएमपी) की कामयाबी सवालों के घेरे में आ गई है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 15 Jan 2017 01:01 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jan 2017 01:04 PM (IST)
पुराने वाहनों पर सरकार का यू-टर्न सोची-समझी रणनीति
पुराने वाहनों पर सरकार का यू-टर्न सोची-समझी रणनीति

नई दिल्ली। पुरानी डीजल गाड़ियों को हटाने के मामले में केंद्र सरकार के यू-टर्न से स्वैछिक वाहन आधुनिकीकरण योजना (वीवीएमपी) की कामयाबी सवालों के घेरे में आ गई है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने 10 साल पुराने डीजल वाहन दिल्ली-एनसीआर से हटाने तथा 15 साल से यादा पुरानी गाड़ियों को नष्ट करने का आदेश दिया था। लेकिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एनजीटी के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि डीजल वाहनों को एनसीआर से हटाने का कोई औचित्य नहीं है।

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इससे प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास हो गया है। उसने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि यदि फिट न हों तो डीजल ही नहीं, पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले वाहन भी खासा प्रदूषण कर सकते हैं। केंद्र को शायद यह बात भी मालूम हो गई है कि यूरोपीय देश अपने यहां डीजल वाहनों को बढ़ावा दे रहे हैं।

केंद्र के रुख में परिवर्तन का एक अन्य कारण वीवीएमपी को वित्त मंत्रलय का समुचित समर्थन न मिलना भी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वीवीएमपी के तहत नया वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को उत्पाद शुल्क में छूट देने का प्रस्ताव वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष रखा था। लेकिन इस पर उन्हें वित्त मंत्री से कोई आश्वासन नहीं मिला है।

खड़े हुए योजना पर सवाल

केंद्र के नए रुख से 15 वर्ष पुराने वाहन को कबाड़ में बेचने और उसकी जगह नया खरीदने वाले ग्राहकों को टैक्स में छूट देने की योजना पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस योजना को पिछले साल वॉलंटरी व्हीकल मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम यानी वीवीएमपी के नाम से लांच किया गया था। लगता है अब केंद्र सरकार इससे पीछे हट रही है, क्योंकि वित्त मंत्रलय ने योजना के लिए वाहनों पर टैक्स की छूट देने में असमर्थता जताई है।

व्हीकल फिटनेस सेंटरों की चिंता

केंद्र का रुख बदलने की दूसरी वजह व्हीकल फिटनेस सेंटर ऑटोमेशन योजना है। इसके तहत निजी क्षेत्र की मदद से देश भर में वाहनों की फिटनेस जांचने वाले केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक समेत कई रायों में ऐसे कुछ केंद्र इस साल चालू हो जाएंगे। सरकार को महसूस हुआ है कि अगर पुराने वाहन नहीं रहेंगे तो ये केंद्र कैसे चलेंगे। इन्हें स्थापित करने वाली कंपनियों को मुनाफा कैसे होगा।
रुख में बदलाव से विशेषज्ञ खुश

बहरहाल, विशेषज्ञ केंद्र के ताजा रुख से प्रसन्न हैं। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आइएफटीआरटी) के एसपी सिंह ने कहा कि उनका संगठन शुरू से पुराने वाहनों को अचानक हटाने के विरुद्ध था। दरअसल, यह योजना ऑटोमोबाइल कंपनियों के दबाव में तैयार की गई थी। इसके पक्ष में विश्व बैंक की मदद से एटी कीर्नी की रिपोर्ट तैयार कराई गई। सिंह के मुताबिक पुराने वाहनों को टैक्स व पार्किंग शुल्क बढ़ाकर धीरे-धीरे हतोत्साहित करना चाहिए। फिटनेस तंत्र को मजबूत बनाकर इनके उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सकता है। अचानक हटाने से लाखों लोगों को व्यक्तिगत नुकसान के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ेगा।


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