GST आने पर कर देनदारी की अग्रिम रूलिंग मांग सकेंगे कारोबारी
जीएसटी के बाद एडवांस रुलिंग सिस्टम से करदाताओं को आसानी होगी
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारत जीएसटी कानून के तहत एक मुकदमेबाजी मुक्त पर्यावरण की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव की योजना बना रहा है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की व्यवस्था लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने कारोबारियों को किसी सौदे के कर दायित्व (टैक्स लायबिलिटी) या माल के वैल्यूएशन को लेकर एडवांस रूलिंग मांग सकेंगे। जीएसटी नियमों में अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) के गठन की व्यवस्था की गई है। इसका मकसद कारोबारियों को कर दायित्वों के मामले में पहले से ही निश्चिंतता प्रदान करके मुकदमेबाजी को कम करना है।
सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर पहली जुलाई से लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लागू होने पर वैट सहित तमाम तरह के अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। इन नियमों में कहा गया है कि अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग के सदस्यों की नियुक्ति केंद्र और राज्य दोनों की ओर से की जाएगी। इसका सदस्य कोई संयुक्त आयुक्त ही हो सकता है, जिसे कम से कम इस पद पर तीन साल का अनुभव होना चाहिए। सेंट्रल जीएसटी एक्ट के मुताबिक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति दोनों के ही मामले में एडवांस रूलिंग प्राप्त की जा सकती है।
मौजूदा व्यवस्था में घरेलू कंपनियां उस सूरत में अपनी उत्पाद या सीमा शुल्क अथवा सेवा कर की देनदारी तय करने के लिए एएआर से निर्णय की मांग की जा सकती है, अगर वे नए कारोबार में प्रवेश कर रही हैं। हालांकि जीएसटी के नियमों ने कर देयता के मामले में यह सुविधा सभी कंपनियों को प्रदान कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी के तहत एएआर एक अच्छा कदम है। देश में कम से कम अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग के 8-10 दफ्तर बनाए जाने चाहिए।
फिलहाल देश का अकेला एएआर कार्यालय दिल्ली में है। जीएसटी के शुरुआती दिनों में वस्तुओं व सेवाओं के वैल्यूएशन, क्लासिफिकेशन के साथ ही साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने के लिए ढेरों सवाल उठेंगे। एएआर गठित करने की योजना से पता चलता है कि सरकार मुकदमेबाजी को रोकने के संबंध में कितनी दृढ़संकल्प है। एएआर की व्यवस्था होने से लोगों को कर देयता के आकलन के लिए ऑडिट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
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