नासिक जिला सहकारी बैंक की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
रिजर्व बैंक ने नासिक जिला सहकारी बैंक के यहां जमा 371 करोड़ रपये मूल्य के पुराने नोटों को बदलने पर रोक लगा दी है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नासिक जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक के एक पत्र को रद्द करने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने नासिक जिला सहकारी बैंक के यहां जमा 371 करोड़ रुपये मूल्य के पुराने नोटों को बदलने पर रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा था कि 31 मार्च से पहले नोटों को बदलने पर रोक से नासिक जिले में उसकी 281 शाखाएं बंद हो जाएंगी। सहकारी बैंक की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने बताया, “अगर हमारे पास रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक नकदी अनुपात नहीं होगा तो हमें बैंक को बंद करना होगा। इस अनुपात को बनाए रखने के लिए केन्द्रीय बैंक से 371 करोड़ रुपए के बदले नए नोट लेना जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के उस पत्र को रद्द कर देना चाहिए जिसके जरिए बैंक को पुराने नोटों को बदलने से रोका गया है। बैंक का कहना है कि ये नोट बैंक के ग्राहकों ने आठ नवंबर और 14 नवंबर 2016 के बीच जमा कराए थे।
धवन ने कहा कि नाबार्ड ने बैंक जमा राशि के विवरण का निरीक्षण किया है और कुछ लिक्विडिटी रेश्यो के लिए आरबीआई के साथ मुहैया कराए गए मुद्रा की मात्रा को एक्सचेंज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "बैंकों की शाखाओं को बंद करने से गंभीर मुद्दों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि यह बैंक अधिकांशत: किसानों को दिए जाने वाले कृषि लोन से जुड़े मामलों को देखता है।"