जीएसटी: नोटबंदी के बहाने राज्यों ने कर्ज सीमा बढ़ाने की मांग की
जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी से जुड़े लंबित विषयों का समाधान तो नहीं निकला लेकिन रायों ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए नोटबंदी का मुद्दा उठा दिया।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर पर विचार के लिए बुलायी गयी जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी से जुड़े लंबित विषयों का समाधान तो नहीं निकला लेकिन रायों ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए नोटबंदी का मुद्दा उठा दिया। रायों के वित्त मंत्रियों ने काउंसिल की बैठक से अलग वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ नोटबंदी और इसके राजस्व व विकास दर संभावित प्रभावों के बारे में चर्चा की। कई रायों ने नोटबंदी के मद्देनजर उनके राजस्व में गिरावट की आशंका जताते हुए उन्हें बाजार से अधिक उधार उठाने की सुविधा देने के लिए एफआरबीएम कानून में ढील देने की मांग की।
एफआरबीएम एक्ट यानी राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन कानून के मुताबिक राय सरकारें केंद्र की अनुमति के बगैर ऋण नहीं ले सकती हैं। चौदहवें वित्त आयोग ने फिलहाल केंद्र और राज्यों के लिए राजकोषीय घाटे की सीमा उनके सकल घरेलू उत्पाद के तीन-तीन फीसद के बराबर तय की है। इसका मतलब है कि कोई भी राय एफआरबीएम की बाध्यता के चलते केंद्र की अनुमति के बिना अपने जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से अधिक राशि उधार नहीं ले सकता।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में नोटबंदी पर चर्चा नहीं हो सकती थी, इसलिए उन्होंने अधिकारियों को बैठक से बाहर कर राज्यों के वित्त मंत्रियों से इस संबंध में चर्चा की। अधिकांश रायों के वित्त मंत्रियों ने सत्ताधारी पार्टी के नजरिये के अनुसार ही बैठक में इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की। कुछ रायों ने एफआरबीएम के तहत अधिक राशि उधार लेने तथा वेज एंड मींस की व्यवस्था को उदार बनाने का सुझाव दिया।
जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्र ने कहा कि 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद होने से केंद्र के साथ-साथ राज्यों के राजस्व और जीडीपी की वृद्धि दर पर तीसरी और चौथी तिमाही में असर पड़ेगा। इसलिए रायों को यह चिंता है कि जो वादे उन्होंने सामाजिक क्षेत्र और ढांचागत क्षेत्र के संबंध में अपने बजट में किए हैं, उन्हें कैसे पूरा किया जाए। इसके लिए धनराशि की आवश्यकता होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यों ने अधिक मुआवजे की मांग की है, मित्र ने कहा कि वह आंकड़ा नहीं बता सकते लेकिन राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति का मुद्दा महत्वपूर्ण है।