प्री-ओपन सेशन में सेंसेक्स हुआ 30 हजारी, दूसरी बार छुआ 30000 का स्तर
सुबह 9 से 9:15 के बीच (प्री-ओपन) में सेंसेक्स ने 30000 के जादुई आंकड़े को पार कर 30007 का ऊपरी स्तर छुआ।
नई दिल्ली। मंगवार को बंद रहने के बाद बुधवार के सत्र में भारतीय शेयर बाजार मामूली कमजोरी के साथ खुले। लेकिन सुबह 9 से 9:15 के बीच (प्री-ओपन) में सेंसेक्स ने 30000 के जादुई आंकड़े को पार कर 30007 का ऊपरी स्तर छुआ। हालांकि ऊपरी स्तर पर टिकने में नाकाम रहने के बाद सेंसेक्स की शुरूआत मामूली कमजोरी के साथ ही हुई। गौरतलब है कि सेंसेक्स का ऑल टाईम हाई 30024 का है जो इसने 4 मार्च 2015 बनाया था।
वित्त वर्ष में निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न
वित्त वर्ष 2017 में भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन शानदार रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने बीते एक साल में 16.9 फीसद का रिटर्न दिया, वहीं निफ्टी 18.88 फीसद उछला। वहीं वित्त वर्ष 2018 की शुरुआत भी सकारात्मक रही। 03 अप्रैल को वित्त वर्ष के पहले की कारोबारी सत्र में सेंसेक्स एक फीसद और निफ्टी 0.70 फीसद की बढ़त के साथ बंद हुए।
इन कारणों से बाजार में जारी रहेगी तेजी
बाजार विशेषज्ञ पिशुपति सुब्रामण्यन के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपए का मजबूत होना अच्छा संकेत हैं। करंसी के मजबूत होने से FIIs को मिलने वाला रिटर्न बढ़ जाता है, जिससे बाजार में नया निवेश आने की उम्मीद बढ़ती है। वहीं दूसरी ओर मजबूत रुपया महंगाई को काबू में रखने का संकेत है जो ब्याज दरों में कमी की संभावना प्रबल करता है। गौरतलब है कि भारतीय रुपया फिलहाल करीब 17 महीने की ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स जैसे बड़े कानून का अस्तित्व में आना अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहद अहम है। जिसका शेयर बाजार पर भी सकारात्मक असर देखने को मिलेगा। सितंबर से जीएसटी का पूरी तरह से चलन में आना लगभग तय है। ऐसे में अगले वित्त वर्ष के लिए यह एक अहम संकेत रहेगा।
विदेशी संस्थागत निवेशक और घरेलू निवेशक दोनों ने ही बीते एक साल में भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त निवेश किया है। बीते एक साल में FIIs ने भारतीय शेयर बाजार में 50 हजार करोड़ से ज्यादा की खरीदारी की है, वहीं म्युचुअल फंड्स की ओर से इस साल करीब 45 हजार करोड़ की खरीदारी की गई है। बाजार में यह खरीदारी आगे भी जारी रहने की संभावना है जो बाजार को ऊपर ले जाने में मदद करेगा।
पिशुपति के मुताबिक नोटबंदी के फैसले के बाद कालेधन पर लगाम लगी है। साथ ही सिस्टम में नकदी आने से फॉर्मल इकोनॉमी बढ़ेगी, जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक असर शेयर बाजार पर होगा। आज जारी हुए टैक्स कलेक्शन के आंकड़े इसी का एक उदाहरण हैं। गौरतलब है कि कर संग्रह 6 साल की ऊंचाई पर है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और रुपए के मजबूत होने से महंगाई काबू रहने की उम्मीद है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद मजबूत होती है। ब्याज दरों में कटौती शेयर बाजार के लिहाज से सकारात्मक होगी, जिसका असर रेट सेंसेटिव स्टॉक्स में देखने को मिलेगा।