नीतिगत दरों में अगले 18 महीनों तक कोई बदलाव नहीं करेगा आरबीआई: सर्वे
रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि अगले साल तक नीतिगत ब्याज दरें यथावत रहने की उम्मीद है
नई दिल्ली (रॉयटर्स)। मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि की चिंताओं के बावजूद अगले साल तक नीतिगत ब्याज दरें यथावत रहने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति फरवरी में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में आरबीआई के तटस्थ रुख के बाद बनती दिख रही है। यह अनुमान रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण में लगाया गया है। इस महीने की शुरुआत में, केंद्रीय बैंक ने सेकेंण्ड्री रेट को बढ़ा दिया था जबकि प्रमुख रेपो रेट को स्थिर रखा था ताकि नोटबंदी के बाद बाजार में आई अतिरिक्त तरलता को कम किया जा सके।
10 से 19 अप्रैल के बीच आयोजित किए गए इस सर्वे में 35 अर्थशास्त्रियों के बीच औसत सहमति बनी। जो कि पॉलिसी रेपो दर 2018 की चौथी तिमाही तक कम से कम 6.25 फीसद और रिवर्स रेपो रेट के 6 फीसद रहने के लिए थी। क्रिसिल के प्रमुख अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने बताया, “मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक की चिंता का सबसे बड़ा कारक है, यह देखते हुए, एक आसान मौद्रिक नीति का रुख फिलहाल के लिए खारिज कर दिया गया है।”
उपभोक्ता कीमतों में पिछले महीने सालाना 3.81 फीसद की वृद्धि हुई थी, सबसे तेज़ गति अक्टूबर 2016 के दौरान दिखी थी जो कि आरबीआई के 4 फीसद लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच गई थी। इन वजहों से ही केंद्रीय बैंक को अपने नीतिगत दरों में बदलाव के रुख को टालना पड़ा।
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