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जीएसटी की पाठशालाः वस्तु एवं सेवाकर के लागू होने के बाद छपवानी पड़ेगी नई बिल बुक

क्या नए रिटर्न को सहजता से भरने के लिए अपनी फर्म के सेल बिल, चालान और अन्य स्टेशनरी के प्रारूपों को भी बदलना होगा जरूरी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 06:29 PM (IST)Updated: Sat, 27 May 2017 02:58 PM (IST)
जीएसटी की पाठशालाः वस्तु एवं सेवाकर के लागू होने के बाद छपवानी पड़ेगी नई बिल बुक
जीएसटी की पाठशालाः वस्तु एवं सेवाकर के लागू होने के बाद छपवानी पड़ेगी नई बिल बुक

नई दिल्ली (सीए मनोज पी. गुप्ता)। विकास जैन कोटा स्टोन, मार्बल, ग्रेनाइट और अन्य बिल्डिंग मटेरियल के विक्रेता हैं। जीएसटी के तहत प्रस्तावित बदलावों के प्रति वो सजग हैं। बाद में उन्हें कोई परेशानी न उठाना पड़े इसलिए वो जीएसटी के लिए अभी तैयारी कर रहे हैं। नईदुनिया को ईमेल भेजकर उन्होंने जानना चाहा है कि जीएसटी में सुझाए गए नए रिटर्न को सहजता से भरने के लिए क्या उन्हें अपनी फर्म के सेल बिल, चालान और अन्य स्टेशनरी के प्रारूपों को भी बदलना होगा। यदि हां तो उन्हें क्या बदलाव करने होंगे।

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उन्हें इस संबंध में और क्या सावधानियां रखनी होंगी?

बिल का प्रारूप बदलना होगा

• वर्तमान व्यवस्था में व्यापारी अभी जो बिल जारी करते हैं उसमें सामान्य तौर ये जानकारियां होती हैं
• बेचने वाले व्यापारी का नाम, पता और फोन नंबर
• व्यापारी का वैट नंबर
• खरीदने वाले का नाम
• बिल जारी करने की तारीख
• जो माल बेचा है उसकी संख्या/वजन, रेट और कुल कीमत पर जीएसटी लागू होने पर सभी व्यापारियों को उनके जारी किए जाने वाले बिल के प्रारूप में अब बदलाव करना होगा और इन पांच जानकारियों के अलावा अतिरिक्त निम्न जानकारियां अपने बिल में आवश्यक तौर पर देना होगी
• बिल पर नया जीएसटीआईएन नंबर
• बिल नंबर या बिल क्रमांक
• खरीदने वाले का नाम, पता और उसका जीएसटीआईएन नंबर
• माल का एचएसएन कोड

कर की दर

• अगर उसी राज्य में माल बेचा जा रहा हो तो सीजीएसटी और एसजीएसटी की कर की रकम और दूसरे राज्य में माल बेचा जा रहा हो तो आईजीएसटी कर की राशि
• अगर माल डिलीवरी, खरीदने वाले के पते से अलग हो तो ऐसी जगह का पूर्ण पता
• अगर टैक्स रिवर्स चार्ज बेसिस पर देना हो तो उसकी जानकारी
• माल विक्रय में दिए जा रहे डिस्काउंट की रकम
• ये सारी जानकारियां विक्रेता को अपने बिल में देना होगी

क्यों जरूरी है बदलाव

बिल के प्रारूपों में बदलाव की आवश्यकता 2 प्रमुख वजहों से है। पहली वजह यह है कि जीएसटी डेस्टिनेशन आधारित कर है मतलब जिस राज्य में माल की खपत होगी टैक्स उसी राज्य का माना जाएगा। दूसरी वजह यह कि इनपुट टैक्स क्रेडिट, जीएसटी का मुख्य आधार है। इसलिए माल खरीदने वाले को चुकाए गए टैक्स की छूट आसानी से मिल सके इसलिए खरीदी बिल में समस्त जानकारियां होना जरूरी है। इन परिस्थितियों में यह आवश्यक होगा कि आप बिल के प्रारूप में बदलाव करें। आवश्यक जानकारियों का बिल में समावेश करें और नई बिल बुक बनवाएं। जो व्यापारी कंप्यूटर से बिल बनाते हैं वो भी प्रारूप में बदलाव करें। लेकिन जो व्यापारी कंपोजिशन स्कीम अपनाने वाले हों उन्हें अपने बिल के प्रारूप को बदलने की आवश्कता नहीं होगी क्यों उन्हें निश्चित रकम टैक्स के रूप में देना है।

अगर आपके मन में जीएसटी से जुड़े सवाल हैं तो आप हमें gstkipathshala@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।


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