पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखे जाने से कंपनियों को होगा नुकसान: ओएनजीसी
ONGC का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने से कंपनियों को काफी नुकसान होगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पेट्रोलियम उत्पादों (कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल) को 1 जुलाई से प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखना पेट्रोलियम कंपनियों के लिए नुकसानदेह साबित होगा। तेल कंपनियों का मानना है कि जीएसटी एक श्रंखलाबद्ध कर प्रणाली है। लिहाजा अगर ऐसे में कुछ उत्पादों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा तो यह कड़ी टूट जाएगी और इसका लाभ उन कंपनियों को नहीं मिलेगा, जिनके उत्पाद इसके दायरे से बाहर होंगे। यह बात ओएनजीसी ने कही है।
सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनी, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के अध्यक्ष और एमडी दिनेश के सर्राफ ने बताया, “जीएसटी व्यवस्था एक श्रंखलाबद्ध कर प्रणाली है, पेट्रोलियम क्षेत्र में बहुत सारे उत्पाद हैं, इनमें कुछ उत्पादों पर जीएसटी नहीं लगने से इनकी कर की श्रृंखला टूट जाएगी। कंपनियों को ऐसे उत्पादों में विभिन्न इनपुट पर तो कर देना पड़ेगा, लेकिन उन्हें आगे इसका क्रेडिट नहीं मिल पाएगा, जिससे उन्हें नुकसान होगा।”
कंपनियों को होगा करोड़ों का नुकसान:
ओएनजीसी के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखे जाने पर कंपनियों को करोड़ों रुपये के टैक्स का नुकसान होगा। कई विशेषज्ञों और कर जानकारों ने पेट्रोलियम उत्पादों के इसके दायरे में लाए जाने की वकालत की है। हालांकि, जीएसटी व्यवस्था को अमल में लाने वाली सर्वोच्च संस्था जीएसटी काउंसिल ने फिलहाल प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन को इसके दायरे से बाहर रखने पर सहमति जताई है।
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 3 जून को प्रस्तावित है। इस बैठक में गोल्ड समेत अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दरों का निर्धारण किया जाना बाकी है।
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