अब होगा 'बिग-बैंग' विनिवेश
आम बजट 2014-15 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने साफ कर दिया है कि उसकी आर्थिक नीतियों में विनिवेश का स्थान काफी अहम होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस वर्ष विनिवेश से 5
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। आम बजट 2014-15 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने साफ कर दिया है कि उसकी आर्थिक नीतियों में विनिवेश का स्थान काफी अहम होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस वर्ष विनिवेश से 58,425 करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन सरकार की मंशा पूरे कार्यकाल के दौरान सालाना इतनी ही राशि जुटाने की है। लगभग एक दशक के बाद फिर से सरकारी उपक्रमों में रणनीतिक विनिवेश भी शुरू किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों के मुताबिक, शेयर बाजार का माहौल जिस तरह से सकारात्मक बना हुआ है, उससे एक बार फिर 'बिग-बैंग' विनिवेश (बड़े व अहम सरकारी उपक्रमों में इक्विटी बिक्री) की प्रक्रिया शुरू करने की जमीन तैयार हो चुकी है। सर्वप्रथम देश के सबसे बडे़ दो उपक्रमों ओएनजीसी व कोल इंडिया में विनिवेश किया जाएगा। इन दोनों कंपनियों से ही सरकार को 30 से 35 हजार करोड़ रुपये हासिल होने की उम्मीद है। सरकार किसी हड़बड़ाहट में नहीं है। लिहाजा, पहले चरण में रणनीतिक विनिवेश के स्थान पर पिछले पांच वर्षो से आजमाए जा रहे फॉर्मूले को ही अपनाया जाएगा। पूर्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में सिर्फ शेयर बाजार के जरिये निवेशकों के बीच शेयर बेचकर पैसे जुटाए गए हैं। कुछ मामलों में तो सिर्फ संस्थागत निवेशकों के बीच ही विनिवेश कार्यक्रम चलाए गए।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 58 हजार करोड़ रुपये (लगभग 10 अरब डॉलर) का विनिवेश कोई महत्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं है। पिछले वर्ष विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने ही सिर्फ 20 अरब डॉलर के करीब भारत में निवेश किया है। इस वर्ष जिस तरह से निवेश अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, उससे एफआइआइ के निवेश में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। जनवरी, 2014 के बाद से अभी तक एफआइआइ घरेलू शेयर बाजार में लगभग 11 अरब डॉलर निवेश कर चुके हैं। घरेलू निवेशक भी हैं, जो आम तौर पर सरकारी कंपनियों में काफी रुचि दिखाते हैं।
माना जा रहा है कि कुछ बड़े सार्वजनिक उपक्रमों में सफलतापूर्वक विनिवेश की गति बढ़ने के बाद ही रणनीतिक विनिवेश में हाथ डाला जाएगा। फिर उन उपक्रमों की सूची बनाई जाएगी, जिन्हें सरकार पूरी तरह से निजी क्षेत्र को बेचना चाहती है। रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकारी उपक्रमों में इक्विटी के साथ ही उनका प्रबंधन भी निजी हाथों में दे दिया जाता है। राजग के कार्यकाल में वर्ष 2000 से लेकर 2004 तक मारुति उद्योग लिमिटेड, आइबीपी, आइपीसीएल, बाल्को, वीएसएनएल सहित दर्जनों कंपनियों को पूरी तरह से निजी हाथों में बेच दिया गया था। एयर इंडिया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन जैसी बड़ी कंपनियों की भी रणनीतिक विनिवेश की कोशिश की गई थी।