खरीफ फसलों का एमएसपी बढ़ने के बाद भी काफी कम: नोमूरा
खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई बढ़ोतरी बीते साल से ज्यादा होने के बावजूद भी काफी कम है
नई दिल्ली (जेएनएन)। चालू वित्त वर्ष 2-17-18 के दौरान खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हुई बढ़ोतरी बीते साल से ज्यादा होने के बावजूद भी काफी कम है। किसानों के हालिया प्रदर्शन के मद्देनजर भी यह वृद्धि नाकाफी लग रही है। जापानी वित्तीय सेवा फर्म नोमुरा की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने सात अप्रैल को 14 खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी थी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान समर्थन मूल्य में पिछले साल से ज्यादा इजाफा हुआ है। केंद्र सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी में 80 रुपये का इजाफा किया है, जबकि दलहनों के समर्थन मूल्य में 400 रुपये तक की बढ़ोतरी की है। यह एक तरह से खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से साफ संकेत है। यह और बात है कि जिस तरह से कुछ दलहनी और तिलहनी फसलों की बाजार कीमतें एमएसपी से नीचे आ गई हैं, उससे किसान इनकी बुवाई के लिए हतोत्साहित हो सकते हैं। फसलों के बाजार में दाम घटने के चलते देश के कई हिस्सों में किसानों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किए थे।
जापान की वित्तीय सेवा दिग्गज के अनुमानों के मुताबिक एमएसपी में प्रत्येक एक फीसद की वृद्धि से खुदरा महंगाई की दर करीब 0.15 फीसद की बढ़ोतरी हो जाती है। हालांकि, निकट भविष्य में खाद्य महंगाई दर में और कमी आने वाली है। यह आगे चलकर फिर बढ़ने लगेगी, क्योंकि बढ़ते एमएसपी, ग्रामीण क्षेत्रों की मजदूरी में इजाफा और खेती की बढ़ती लागत के चलते यह फिर ऊपर चढ़ने लगेगी।