वीजा फॉर्मेट में बदलाव पर काम कर रही है सरकार, पूछा जा सकता है आपका क्रिमिनल रिकॉर्ड
जल्द ही पासपोर्ट आवेदन के दौरान विदेशियों के आपराधिक मामलों की जानकारी भी मांगी जाएगी
नई दिल्ली (जेएनएन)। सरकार एक रिवाइज्ड वीजा फॉर्मेट पर काम कर रही है। इसमें विदेशी आवेदक की क्रिमिनल हिस्ट्री, जिसमें बाल अपराध शामिल है, जैसी जानकारियां सम्मिलित होंगी। मंगलवार को सरकार ने यह जानकारी लोक सभा में दी है।
राज्य मंत्री किरन रिजिजू का कहना है कि वर्तमान में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है जहां मौजूदा वीजा फॉर्मेट में आपराधिक अभियोग (क्रिमिनल प्रोसेक्यूशन) के विवरण का उल्लेख नहीं है। जबकि वीजा के मैन्युअल में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि अगर किसी व्यक्ति पर क्रिमिनल अफेंस है तो वह भारत में नहीं आ सकता।
उन्होंने अपने लिखित जवाब में बताया है कि सरकार ने वीजा फॉर्मेट को रिवाइज करने के लिए उचित कदम उठा लिए हैं। इसमें आवेदक के क्राइम डिटेल्स का भी विवरण होगा। इस वर्ष की शुरुआत में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने विदेश मंत्री को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि भारत में ऐसे लोगों के प्रवेश को रोका जाए जिनके खिलाफ चाइल्ड एब्यूज जैसे क्रिमिनल रिकॉर्ड दर्ज हैं। इसके लिए मौजूदा वीजा फॉर्मेट में संशोधन किए जाएंगे।
जन्म प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं
पहले पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाणपत्र देने की जरूरत होती थी। इसके बिना पासपोर्ट के लिए पंजीयन नहीं होता था। एक जनवरी 1989 के पहले जन्मे लोगों को जन्म प्रमाणपत्र देना होता था। मगर, अब इसकी कोई जरूरत नहीं होगी। अब जन्म तारीख के लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, मान्यता प्राप्त शैक्षणिक बोर्ड से जारी की गई मार्कशीट, स्कूल की टीसी, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड और एलआईसी पॉलिसी बॉन्ड को भी जन्म प्रमाण पत्र के रूप में जमा किया जा सकता है। सरकारी कर्मचारी अपना सर्विस रिकॉर्ड, पेंशन रिकॉर्ड भी दे सकते हैं।
पिता का नाम देना जरूरी नहीं
सिंगल पैरेंट भी अपने बच्चे के लिए पासपोर्ट का आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें पिता का नाम देना जरूरी नहीं है। इसके बारे में लंबे समय से चर्चा हो रही थी और स्पेशल कमेटी ने सिंगल पैरेंट और गोद लिए गए बच्चों के मामलों को देखते हुए इस फैसले को मंजूरी दी।