फंसे कर्ज के संकट का समाधान करने के लिए जल्द आएगी नई NPA नीति
कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद नई एनपीए (नॉन परफॉर्मिग एसेट) नीति का मसौदा तैयार किया गया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। बैंकों को फंसे कर्ज के संकट से उबारने के लिए सरकार जल्द ही एक नई एनपीए (नॉन परफॉर्मिग एसेट) नीति लाने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रलय और रिजर्व बैंक के आला अधिकारियों के बीच पिछले कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद इस नीति का मसौदा तैयार किया गया है। खास बात यह है कि यह नीति सरकारी मंजूरी प्रक्रिया के पचड़े में न फंसे, इसलिए इसे कैबिनेट की मंजूरी के बगैर लागू करने का प्रावधान किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि नई एनपीए नीति के तहत ओवरसाइट कमेटी को विशेष अधिकार देने का प्रस्ताव है। यह समिति विशेष शक्तियों से लैस होगी। बैंक अपने फंसे कर्ज (एनपीए) के बड़े मामलों के तीन वैकल्पिक समाधान तलाश कर समिति के पास भेजेंगे। इसके बाद जो भी उपाय सबसे बेहतर होगा, समिति उस पर मुहर लगा देगी। इस व्यवस्था के जरिये बैंक कंपनियों पर बकाया कर्ज की मूल राशि और ब्याज पर छूट दे सकते हैं, ताकि ग्राहक आसानी से लोन लौटा सकें। सूत्रों ने कहा कि नई एनपीए नीति के तहत अगर कोई कंपनी अपना कर्ज चुकाने में विफल रहती है तो उस क्षेत्र की फायदेमंद फर्म में उसका विलय किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रलय और रिजर्व बैंक आदेश जारी कर इस नीति को लागू कर सकते हैं। फिलहाल इस नीति को कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं है।
बैंकों के एनपीए की सकल राशि दिसंबर 2016 में बढ़कर 6.46 लाख करोड़ रुपये हो गई है। बैंकों के फंसे कर्ज के समाधान की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि इससे उनके लाभ और पूंजी आधार पर असर पड़ रहा है। सरकार पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाए रखने के लिए उन्हें बजट के जरिये सहायता दे रही है। इस बीच राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) कानून की समीक्षा के लिए एनके सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को आने वाले वर्षो में बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए अधिक धनराशि देने की जरूरत पड़ सकती है।
अगले वित्त वर्ष 2018-19 तक बैंकों को 1,80,000 करोड़ रुपये की पंजूी की जरूरत पड़ने का अनुमान है। इसमें से सरकार इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत 70 हजार करोड़ रुपये देने को कदम उठा चुकी है। बाकी 1,10,000 करोड़ रुपये बैंकों को बाजार से उठाने हैं। सरकार वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 में बैंकों को कुल 50,000 करोड़ रुपये पूंजीकरण के लिए दे चुकी है। चालू वित्त वर्ष के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
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