नैस्कॉम ने अमेरिका के दावे को नकारा, कहा टीसीएस और इन्फोसिस की H1B वीजा में कुल हिस्सेदारी सिर्फ 8.8 फीसद
एच1बी वीजा के मुद्दे पर टीसीएस और इन्फोसिस पर लगे आरोपों का नैस्कॉम ने बचाव किया है।
नई दिल्ली (पीटीआई)। आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैस्कॉम ने सोमवार को टीसीएस और इन्फोसिस का बचाव करते हुए कहा कि साल 2014-15 के दौरान अप्रूव हुए कुल एच1बी वीजा में इन दोनों कंपनियों की हिस्सेदारी सिर्फ 8.8 फीसद (7,504) रही है। गौरतलब है कि हाल ही में इन दोनों कंपनियों पर अमेरिकी प्रशासन ने आरोप लगाते हुए कहा था कि इन कंपनियों ने लॉटरी सिस्टम का फायदा उठाते हुए गलत तरीके से ज्यादा एच1बी वीजा प्राप्त किए हैं।
भारतीय आईटी कंपनियां एच-1बी वीजा का उपयोग अपने कर्मचारियों को अमेरिका में अपने ग्राहकों के लिए काम करने के लिए भेजने में करती हैं। कुल 110 अरब डॉलर के भारतीय आईटी उद्योग के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। पिछले कुछ सप्ताह से अमेरिका समेत विभिन्न बाजारों में संरक्षणवाद की धारणा मजबूत हो रही है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार बढ़ाने तथा विदेशी कर्मचारियों के लिये नियम कड़े किये जाने की मांग जोर पकड़ रही है।
नैस्कॉम की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया,“नैस्कॉम भारतीय कंपनियों पर व्हाइट हाउस की ओर से एच1बी वीजा की बड़ी हिस्सेदारी प्राप्त करने के संबंध में लगाए गए आरोप पर स्पष्ट करना चाहता है कि 2014-15 में शीर्ष 20 एच-1बी वीजा प्राप्तकर्ताओं में केवल छह भारतीय कंपनियां थी।” इसमें आगे कहा गया कि टीसीएस और इंफोसिस ने 2014-15 में 7,504 वीजा प्राप्त किए जो कि कुल मंजूर हुए एच-1बी वीजा का केवल 8.8 फीसद हिस्सा है।
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