ITR फाइलिंग में भूलकर भी न करें ये गलतियां, आ सकता है नोटिस
ITR फाइलिंग के दौरान करदाता की ओर से की गई गलतियां उसपर भारी पड़ सकती हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। आयकर रिटर्न दाखिल करते समय करदाता अक्सर कुछ सामान्य गलतियां कर देते हैं। इन छोटी छोटी खामियों के कारण करदाताओं को समस्या हो सकती है यहां तक कि उन्हें टैक्स नोटिस भी आ सकता है। हम अपनी इस खबर में कुछ ऐसी आम गलतियों के बारे में बताएंगे जिसे करदाता जाने-अनजाने कर ही देते हैं। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2016-17 के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2017 है।
ब्याज आय का खुलासा न करना: हर करदाता के लिए टैक्स फाइलिंग के दौरान बीते वित्त वर्ष के दौरान प्राप्त हुईं सभी ब्याज आय का खुलासा करना जरूरी होता है। करदाता आमतौर पर सेविंग बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज आय का खुलासा करना भूल जाते हैं। इसका उल्लेख इनकम फ्रॉम अदर सोर्स में उल्लेख करना होता है। फिक्सड और रेकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल होता है, हालांकि सेविंग बैंक अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज एक लिमिट तक छूट के दायरे में आता है, यह लिमिट सालाना 10,000 रुपए की है।
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल न करना: काफी सारे लोग आईटीआर रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं। ये कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की प्राप्ति होती है जो कि कर छूट के दायरे में आती है। हालांकि आपको बता दें कि कुछ लॉन्ग टर्म गेन ही छूट के दायरे में आते हैं। इसके बिना उनकी ग्रॉस टोटल इनकम टैक्स छूट सीमा से नीचे ही रहती है। हालांकि सेक्शन 139 (1) में किए गए संशोधन के मुताबिक अगर आपकी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की राशि और आपकी ग्रॉस टोटल इनकम का जोड़ मिनिमम एग्जेंप्शन लिमिट को पार कर जाता है तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना ही होगा।
गलत टीडीएस अमाउंट का क्लेम करना:
अगर आप अपने आईटीआर में गलत टीडीएस अमाउंट को क्लेम करते हैं तो इस बात की संभावना तेज हो जाती है कि आयकर विभाग आपको इसके लिए नोटिस भेज दे। इसलिए बेहतर रहेगा कि आप ऐसा न करें।
नोटबंदी के दौरान जमा की जानकारी न देने पर:
केंद्र सरकार की ओर से बीते साल 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद काफी सारे लोगों ने भारी मात्रा में नकदी बैंकों में जमा की है। आपको इस बार इसका भी उल्लेख करना होगा। ऐसा न करने की सूरत में विभाग आपको नोटिस भेज सकता है।
रिटर्न को वेरिफाई न कराने की सूरत में:
बतौर करदाता आपके लिए सिर्फ आईटीआर भरना ही काफी नहीं होता, आपके लिए इसे वेरिफाई करवाना भी जरूरी होता है। इसलिए अपने आईटीआर को वेरिफाई करवाना न भूलें। आईटीआर वेरिफिकेशन के बारे में विस्तार से जानकारी हमने अपनी पिछली खबर के माध्यम से दी है। इसे आप नीचे दिए गए लिंक से पढ़ सकते हैं...
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद वेरिफिकेशन भी जरूरी, ये है तरीका