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पेट्रोल और डीजल के लिए अब चुकाने होंगे ज्यादा रुपए, जानिए वजह

एक अगस्त से उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल के ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि डीलर कमीशन को बढ़ाने का फैसला किया गया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 01 Aug 2017 01:00 PM (IST)Updated: Tue, 01 Aug 2017 01:00 PM (IST)
पेट्रोल और डीजल के लिए अब चुकाने होंगे ज्यादा रुपए, जानिए वजह
पेट्रोल और डीजल के लिए अब चुकाने होंगे ज्यादा रुपए, जानिए वजह

नई दिल्ली (जेएनएन)। पेट्रोल और डीजल के लिए 1 अगस्त से उपभोक्ताओं को और अधिक भुगतान करना होगा। दरअसल, तेल विपणन कंपनियों ने ईंधन पंप मालिकों को दिए जाने वाले डीलर कमीशन को बढ़ाने का फैसला किया है। डीलर कमीशन ईंधन की कीमत का हिस्सा है, जिसका भुगतान उपभोक्ता करते हैं।

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वर्तमान में पेट्रोल के लिए यह 2.55 रुपए प्रति लीटर और डीजल के लिए 1.65 रुपए प्रति लीटर तय है। ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन मांग कर रही थी कि पेट्रोल के लिए 1 रुपए प्रति लीटर और डीजल के लिए 0.72 रुपए प्रति लीटर कमीशन बढ़ाया जाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने बताया कि कमीशन की नई दरें 1 अगस्त से लागू होंगी।

हालांकि, अब अंतरराष्ट्रीय और कच्चे तेल की कीमतों के साथ पेट्रोल और डीजल की कीमतें दैनिक आधार पर संशोधित की जाती है। ऐसे में डीलर कमीशन बढ़ाए जाने के कारण कच्चे तेल की कीमत यदि बढ़ती है, तो पेट्रोल की कीमत में तेज वृद्धि दिखेगी और यदि कच्चे तेल की कीमत कम होती है, तो कीमत में कम कमी देखने को मिलेगी।

डीलर एसोसिएशन ने 16 जून से खुदरा कीमतों में दैनिक परिवर्तन किए जाने के बाद से ही हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहे थे। उनका दावा था कि नई प्रणाली से जब कच्चे तेल और रिटेल प्राइस कम होने से उनका मार्जिन समाप्त हो रहा है। गौरतलब है कि पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रत्येक महीने की पहली और 16 तारीख को समायोजित की जाती थीं।

संसद में 26 जुलाई को पेट्रोलियम मंत्रालय के दिए गए बयान के अनुसार, 16 जुलाई को दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमत क्रमश: 64.11 रुपए प्रति लीटर और 54.93 रुपए प्रति लीटर थी। इसमें से पेट्रोल के लिए 2.55 रुपए प्रति लीटर और डीजल के लिए 1.65 रुपए प्रति लीटर डीलर कमीशन शामिल था।

डीलर्स ने दावा किया है कि वर्तमान में खर्च को पूरा करने और लाभ कमाने के लिए दिया जाने वाला कमीशन बहुत कम है। राष्ट्रीय औसत बिक्री प्रति आउटलेट 170 किलोलीटर ईंधन हर महीने है। बंसल ने कहा कि इस बिक्री को संभालने के लिए एक डीलर केवल 14 पैसे प्रति लीटर बचता है, जो प्रति माह करीब 25,000 रुपए का लाभ देता है।

यह रकम मजदूरी,बिजली का बिल जैसी ऑपरेशनल कॉस्ट और ईंधन के वाष्पीकरण के कारण होने वाले नुकसान के बाद बचती है। उन्होंने दावा किया कि करीब 1 फीसद ईंधन वाष्पीकृत हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमने इन सभी घटकों के तहत निर्धारित खर्चों में वृद्धि करने का अनुरोध किया था। इसके लिए हमने पेट्रोल का कमीशन एक रुपए प्रति लीटर और डीजल के लिए 72 पैसे बढ़ाए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि पिछले छह से आठ महीनों में विभिन्न राज्यों मजदूरी की लागत करीब 42 फीसद बढ़ गई है।

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