मूडीज ने अपग्रेड की भारत की सॉवरेन रेटिंग, अर्थशास्त्री से समझिए इसके मायने
जानिए मूडीज की ओर से भारत की रेटिंग अपग्रेड करने का देश की अर्थव्यवस्था या निवेशकों पर किस तरह प्रभाव पड़ेगा
नई दिल्ली (शुभम शंखधर)। 13 साल बाद क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को BAA3 से बढ़ाकर BAA2 कर दिया। रेटिंग अपग्रेड के साथ ही मूडीज ने इकोनॉमी पर आउटलुक को पॉजिटिव से बढ़ाकर स्टेबल कर दिया है। इस खबर के बाद दलाल स्ट्रीट पर जबरदस्त खरीदारी देखने को मिली और सेंसेक्स एकाएक 400 अंक उछल गया, वहीं दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रूपए में भी 0.75% की मजबूती देखने को मिली।
आपके सवाल?
- मूडीज ने इस समय भारत की रेटिंग अपग्रेड क्यों की?
- इस रेटिंग अपग्रेड का मतलब क्या है?
- रेटिंग अपग्रेड हो जाने का भारत की अर्थव्यवस्था या निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा?
विशेषज्ञ के जवाब
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका पांडे के मुताबिक मूडीज की ओर से इतने लंबे समय बाद भारत की क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड किया जाना बहुत ही सकारात्मक है, उन्होने कहा कि अर्थव्यवस्था के आउटलुक में समय समय पर बदलाव होते रहते हैं लेकिन सॉवरेन रेटिंग का अपग्रेड होना निश्चित तौर पर सरकार की ओर से किये गए सुधारों पर मुहर है।
क्यों अपग्रेड की रेटिंग
राधिका के मुताबिक पिछले साल सरकार ने जिन सुधारों का ऐलान किया था उनके क्रियान्वयन में आई तेजी को देखते हुए रेटिंग एजेंसी इस अपग्रेड का फैसला लिया है। मसलन, जीएसटी का रोलआउट पिछले साल से प्रस्तावित था लेकिन अमल में इस साल जुलाई से आया। इसके अलावा बैंकों का पुन:पूजीकरण, दिवालिया कानून पर अमल जैसे सुधारों में भी इसी साल तेजी आती दिखी। इन्हीं सुधारों के मद्देनजर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी की ओर से सॉवरेन रेटिंग को बढ़ाने का फैसला लिया गया है।
रेटिंग अपग्रेड का मतलब
देश की सॉवरेन रेटिंग में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिती में है और ग्रोथ के लिए अग्रसर है। राधिका ने बताया कि अगर आप एक आंकड़ें में किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत जानना चाहते हैं तो इसकी सॉवरेन रेटिंग उसका सही मानक है। विदेशी निवेशक किसी देश में निवेश करने से पहले उस देश की सॉवरेन रेटिंग को महत्व देते हैं। यही कारण हैं कि रेटिंग अपग्रेड होते ही एक ओर शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली वहीं दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रूपए में भी इजाफा हुआ।
कहां हैं चुनौतियां
राधिका के मुताबिक सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की होगी। जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद अगर सरकार के रेवेन्यु में कमी आती है तो राजकोषीय घाटे को साधना बड़ी चुनौती होगी। अगर सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से चूकती है तो निश्चित तौर पर यह अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक संकेत होगा।
क्या करें निवेशक
एस्कॉर्ट सिक्योरिटीज हेड रिसर्च आसिफ इकबाल के मुताबिक शेयर बाजार में आज आई तेजी महज खबर का असर है। बाजार की इस तेजी के इस खबर के बल पर लंबा टिकने के आसार कम हैं। क्रूड की अनिश्चितता, जीएसटी का क्रियान्वयन और आगामी चुनाव जैसे कारक बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। बाजार में आज आए उछाल का इस्तेमाल निवेशक मुनाफावसूली के लिए कर सकते हैं।
मूडीज ने इन चार वित्तीय संस्थानों की रेटिंग भी बढ़ाई
- HDFC की लॉन्ग टर्म रेटिंग
- SBI की लॉन्ग टर्म रेटिंग
- IRFC की लॉन्ग टर्म रेटिंग
- EXIM BANK (एग्जिम बैंक) की लॉन्ग टर्म रेटिंग
इनकी भी रेटिंग बढ़ी:
- ओएनजीसी (ONGC)
- एचपीसीएल (HPCL)
- आईओसी (IOC)
- बीपीसीएल (BPCL)
- पेट्रोनेट (PETRONET)
- एलएनजी (LNG)
यह भी पढ़ें: मूडीज को 13 साल बाद दिखा भारत में सुधार, जानिए 10 बड़ी बातें
मूडीज ने 13 साल बाद बढ़ाई भारत की रेटिंग, रिफॉर्म से ग्रोथ आने का भरोसा