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शिंजो अबे की भारत यात्रा के क्या हैं आर्थिक मायने, समझिए

जापानी पीएम का दो दिवसीय भारतीय दौरा आर्थिक मायनों में काफी अहम है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 13 Sep 2017 11:50 PM (IST)Updated: Wed, 13 Sep 2017 11:52 PM (IST)
शिंजो अबे की भारत यात्रा के क्या हैं आर्थिक मायने, समझिए
शिंजो अबे की भारत यात्रा के क्या हैं आर्थिक मायने, समझिए

नई दिल्ली (जेएनएन)। वर्ल्ड की जीडीपी में 5.91 फीसद हिस्सेदारी रखने वाले जापान के पीएम शिंजो अबे का 2.83 फीसद हिस्सेदारी रखने वाले भारत में दो दिवसीय दौरा कई मायनों में अहम है। ऐसे समय में जब नार्थ कोरिया के न्यूक्लियर अटैक से अमेरिका समेत पूरी दुनिया टेंशन में है और चीनी सैनिक हमारी सीमा में घुसपैठ से बाज नहीं आ रहे, अबे का यह दौरा भारत को आर्थिक मजबूती देने के साथ साथ कूटनीतिक मंच पर भी सशक्त बनाएगा। गौरतलब है कि जापानी पीएम शिंजो अबे अपने दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को ही अमहदाबाद पहुंच चुके हैं जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका भव्य स्वागत किया।

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अबे की यात्रा बुलेट ट्रेन की उम्मीद को देगी रफ्तार: जिस देश में औसत रूप से 3 करोड़ लोग हर रोज ट्रेन से सफर तय करते हों उस देश में बुलेट ट्रेन की उम्मीद भले ही अभी बेइमानी लग रही हो, लेकिन अबे की इस यात्रा में बुलेट ट्रेन प्रमुख मुद्दों में शुमार है। बुलेट ट्रेन प्रोजक्ट के साल 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है इसके बाद इस रूट की पटरियों पर ट्रेन 350 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। यह प्रोजक्ट पूरी तरह से जापानी इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन एजेंसी (जीआईसीए) पर निर्भर है जो कि इस परियोजना का 80 फीसद खर्चा उठा रही है। एजेंसी ने यह लोन अगले 50 सालों के लिए मिनिमम इटरेस्ट पर दिया है। बाकी की फंडिंग जो कि करीब 9,800 करोड़ रुपए बैठेगी उसे इंडियन रेलवे वहन करेगा। एक बार इस परियोजना के पूरा होने के बाद इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेन की स्पीड 350 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। इससे इन दोनों शहरों की दूरी को मात्र दो घंटे में नापा जा सकेगा, जिसमें अभी तक 7 घंटे का वक्त लगता है।

विकास सहयोग का विस्तार करना: दोनों देशों के बीच होने वाली सालाना समिट में हिस्सा लेने आए अबे ने भारत की प्रमुख परियोजनाओं में अपनी भागेदारी बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है। जैसे कि मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और क्लीन गंगा मिशन। दरअसल ये दो देशों के बीच उस विकासात्मक सहयोग को आगे बढ़ाने की रस्म अदायगी है जिसके लिए उन्होंने साल 2015 की अपनी मुलाकात के दौरान हामी भरी थी। भारत को तमाम सेक्टर्स में जापान की तकनीक से फायदा मिलेगा और अब उसका ध्यान पर्यावरण संरक्षण, सीवेज निर्माण, वन सुरक्षा के क्षेत्रों में जापानी सहायता को विस्तार देने पर है। जापानी भी भारत के उत्तर-पूर्व भागों में विकास सहयोग के विस्तार के लिए उत्सुक हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग का वादा:  दोनों देश बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर तेज ध्यान देने के साथ-साथ एशियाई और अफ्रीकी देशों में अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिए भी प्रयास करेंगे। यह नया डेवलपमेंट ऐसे समय में सामने आया है जब चीन आक्रामक तरीके से वन-रोड-वन-बेल्ट कनेक्टिविटी परियोजना के साथ आगे बढ़ रहा है, जिसका भारत विरोध कर चुका है। हालांकि लेकिन श्रीलंका और नेपाल जैसे अपने दक्षिण एशियाई देशों ने वन रोड वन बेल्ट का समर्थन किया था।


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