दूसरे कामों पर खर्च हो रहा किसान क्रेडिट कार्ड का पैसा
केसीसी का इस्तेमाल खेती से इतर दूसरे कार्यो पर खर्च के लिए किया जा रहा है
नई दिल्ली (जेएनएन)। किसानों को सूदखोरों के चंगुल से निकालकर कृषि में निवेश बढ़ाने को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के रूप में संस्थागत कर्ज मुहैया कराने का उद्देश्य पूरी तरह सफल नहीं हो रहा है। केसीसी का इस्तेमाल खेती से इतर दूसरे कार्यो पर खर्च के लिए किया जा रहा है। यही वजह है कि संसद की एक स्थायी समिति ने टर्म लोन (मियादी कर्ज) को भी दायरे में लाने की वकालत की है।
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति का कहना है कि किसान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किसान उपभोग खर्च के लिए कर रहे हैं। इसलिए कृषि क्षेत्र के लिए दीर्घावधि लोन मुहैया कराने का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। समिति ने केसीसी का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की है ताकि टर्म लोन भी इसमें शामिल हो सके और किसानों को संस्थागत ऋण मुहैया कराया जा सके। समिति की यह सिफारिश इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि केसीसी के रूप में किसानों को मुहैया कराए जा रहे कुल कर्ज में टर्म लोन का हिस्सेदारी फिलहाल काफी कम है।
रिजर्व बैंक के अनुसार मार्च, 2016 तक केसीसी के तहत वितरित ऋण में टर्म लोन की हिस्सेदारी 12.72 फीसद है, जबकि फसली कर्ज 87.28 फीसद है। दरअसल किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में किसानों को अल्पावधि फसली कर्ज दिया जाता है, जो उन्हें शीघ्र ही जमा करना होता है। टर्म लोन को आम तौर पर पांच साल में चुकाना होता है। यह अवधि अधिक भी हो सकती है। साथ ही केसीसी में ब्याज की दर काफी कम होती है। टर्म लोन पर ब्याज काफी अधिक होता है।
वित्त मंत्रालय ने समिति को बताया है कि किसान आम तौर पर कृषि निवेश की जरूरत के हिसाब से टर्म लोन के लिए अलग से बैंक से संपर्क करते हैं। टर्म लोन के इन प्रस्तावों के गहन परीक्षण की आवश्यकता होती है। इसलिए इन्हें केसीसी से बाहर रखा जाता है।