जीएसटी लागू होने से पूर्व सतर्क दिखेंगे निवेशक
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी के लागू होने के पहले निवेशक सतर्क होंगे
नई दिल्ली (पीटीआई)। कच्चे तेल (क्रूड) की कीमत, डेरिवेटिव एक्सपायरी और विदेशी फंडों का रुख इस हफ्ते बाजार को दिशा देंगे। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एक जुलाई को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से पहले घरेलू निवेशक सतर्क रहेंगे। इसके कारण बाजार सीमित दायरे में कारोबार करेगा।
जिफिन एडवाइजर्स के सीईओ देवेंद्र नेवगी ने कहा कि निवेशक जीएसटी के प्रभावी होने पर उसके असर का आकलन करेंगे। इसकी वजह से अगले सप्ताह बाजार सीमित दायरे में कारोबार कर सकता है। ट्रेड स्मार्ट ऑनलाइन के संस्थापक-निदेशक विजय सिंहानिया कहते हैं कि गुरुवार को वायदा सौदों के निपटान का अंतिम दिन है। इसे देखते हुए भी बाजार में उठापटक रह सकती है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार, महंगाई की घटती दर और नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद में निचले स्तरों पर बाजार को घरेलू निवेशकों का समर्थन मिलता रहेगा। कोटक सिक्योरिटीज में एवीपी (करेंसी डेरिवेटिव्ज) अनिंद्य बनर्जी के अनुसार, ग्लोबल वित्तीय बाजारों पर भी नजर रहेगी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व प्रोत्साहनों का पिटारा खोल सकता है। जबकि ईसीबी (यूरोपियन सेंट्रल बैंक) और बीओजे (बैंक ऑफ जपान) की ओर से इन्हें घटाने की आशंका से अस्थिरता आ सकता है। इन घटनाक्रमों का रुपये पर भी असर पड़ सकता है। फिलहाल सप्ताहांत के दौरान दोनों प्रमुख सूचकांकों- सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त दर्ज की गई।
शुक्रवार को समाप्त सप्ताह में बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 81.81 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 13.10 अंक सुधरा। बाजार की इस तेजी में देश की दस सबसे मूल्यवान कंपनियों में से सात का बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) 29779.54 करोड़ रुपये बढ़ा। रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। जो अन्य कंपनियां लाभ में रहीं उनमें एचडीएफसी बैंक, आइटीसी, एचडीएफसी, एसबीआइ, एचयूएल और इंफोसिस शामिल हैं। इंफोसिस, मारुति सुजुकी इंडिया और ओएनजीसी को नुकसान हुआ।
विदेशी निवेशकों ने किया चार अरब डॉलर का निवेश
विदेशी निवेशक जून में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में चार अरब डॉलर का निवेश कर चुके हैं। एक जुलाई से लागू होने जा रहे जीएसटी को लेकर अधिक स्पष्टता और मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी ने निवेशकों को उत्साहित किया है। दिलचस्प यह है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने इक्विटी के बजाय डेट मार्केट को ज्यादा तरजीह दी।