हम मूर्ति को शुभचिंतक मानते हैं, शेयर होल्डर्स के पक्ष में बोलने वाला कार्यकर्ता नहीं: इन्फोसिस
इन्फोसिस के को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने बताया कि मूर्ति को वो एक शुभचिंतक मानते हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। इन्फोसिस के उपाध्यक्ष (को-चेयरमैन) रवि वेंकटेशन ने बुधवार को बताया कि कंपनी सह-संस्थापक और प्रवर्तक एन आर नारायण मूर्ति को शेयरधारक कार्यकर्ता के रूप में नहीं बल्कि उन्हें एक शुभचिंतक मानती है। उन्होंने बताया, “मैं मूर्ति को इन्फोसिस के एक शुभचिंतक के रूप में देखना चाहूंगा। उन्होंने जो भी किया है वो जारी रहेगा। मुझे नहीं लगता कि हमें उनपर A या B और शेयरधारक कार्यकर्ता का ठप्पा निश्चित तौर पर नहीं लगाना चाहिए।”
दरअसल वेंकटेश उन सवालों का जवाब दे रहे थे कि कंपनी मूर्ति को किस रूप में देखना चाहेगी। कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों में गिरावट के खिलाफ आवाज उठाने वाले शेयरहोल्डर एक्टिविस्ट के तौर पर या फिर एक शुभचिंतक के रूप में। वेंकटेश ने कहा कि मूर्ति न सिर्फ कंपनी के संस्थापक थे बल्कि वो एक मेंटर भी थे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि उनसे ऐसा रिश्ता एक रचनात्मक और उत्पादक तरीके से लंबे समय तक जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, “काफी सारे लोगों के लिए फिर वो चाहे कर्मचारी हों या फिर निवेशक उनके लिए वो संस्थापक बने रहेंगे और निश्चित रूप से मैं उन्हें न केवल एक संस्थापक के रूप में मानता हूं, बल्कि उन्हें एक संरक्षक के रूप में भी मानता हूं। इसलिए उम्मीद करता हूं कि ऐसा रिश्ता एक रचनात्मक और उत्पादक तरीके से लंबे समय तक जारी रहेगा।”
नारायणमूर्ति ने कहा, उन्हें इन्फोसिस चेयरमैन पद छोड़ने का अफसोस
दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के पूर्व संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि उन्हें साल 2014 में कंपनी का चेयरमैन पद छोड़ने का अफसोस है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने सह संस्थापकों की बात सुननी चाहिए थी और पद पर बने रहना चाहिए था।
मूर्ति ने कहा कि हालांकि वह रोजाना इन्फोसिस के परिसर में जाना नहीं भूलते हैं। आपको बता दें कि हाल ही में मूर्ति और कंपनी के मौजूदा प्रबंधन प्रमुख विशाल सिक्का के बीच कंपनी के कामकाज संचालन के मुद्दे को लेकर विवाद हुआ था। निजी और बतौर पेशेवर अपने सबसे बड़े अफसोस का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2014 के दौरान मेरे काफी सारे सहयोगियों ने मुझसे कहा था कि मैं इन्फोसिस न छोड़ूं और कुछ और साल यहां बना रहूं।
नारायणमूर्ति ने कहा, “आम तौर पर मैं बहुत भावुक किस्म का व्यक्ति हूं। मेरे अधिकतर निर्णय आदर्शवाद पर आधारित होते हैं। शायद मुझे अपने सहयोगियों की बात माननी चाहिए थी।”