इंफोसिस की एजीएम में होगा हंगामा, सालाना आम बैठक आज
इंफोसिस की सालाना आम बैठक में हंगामा होनी की संभावनाएं तेज हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इंफोसिस के शेयरधारकों की सालाना आम बैठक (एजीएम) हंगामाखेज रहने के आसार हैं। शनिवार को होने जा रही इस एजीएम में कॉरपोरेट गवर्नेस और परफॉरमेंस के मुद्दे पर कंपनी का निदेशक बोर्ड घिर सकता है। इंफोसिस के चेयरमैन आर शेषसायी और सीईओ विशाल सिक्का को खासतौर पर शेयरधारकों के कड़े सवालों का सामना करना पड़ सकता है। कई शेयरधारक कंपनी संचालन के मौजूदा तौर-तरीकों से नाखुश हैं।
कंपनी के संस्थापक शीर्ष स्तर पर भारी-भरकम सैलरी पैकेज दिए जाने से नाराज हैं। इस बैठक की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि कंपनी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान अपने रेवेन्यू की वृद्धि दर कम रहने का अनुमान जाहिर किया है। खुदरा और संस्थागत निवेशक बोर्ड से असहज करने वाले सवाल पूछ सकते हैं, क्योंकि सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की ओर से चिंता जताए जाने के बाद कंपनी की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। मूर्ति ने गवर्नेस व शीर्ष प्रबंधन के भारी-भरकम वेतन पर अपनी चिंता जाहिर की थी।
इंफोसिस ने 13 अप्रैल को बीते वित्त वर्ष के वित्तीय नतीजों का एलान करते हुए अगले साल के लिए अपनी कमाई बढ़ने संबंधी अनुमान में कमी कर दी थी। कंपनी ने चौथी तिमाही में अपने शुद्ध लाभ में 0.2 फीसद की मामूली बढ़ोतरी दिखाई। कंपनी के बोर्ड में डायरेक्टर रह चुके एक अन्य शेयरधारक ने कहा कि बीते चार माह से संस्थापकों और बोर्ड के बीच अविश्वास का माहौल है। भरोसे में यह कमी शीर्ष प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच भी है। जहां तक कंपनी में संस्थापकों की हिस्सेदारी का सवाल है, तो यह कुल मिलाकर 12 फीसद के करीब बैठती है। इस लिहाज से उन्हें बोर्ड में एक पद मिलना चाहिए। मगर बोर्ड में उनकी कोई मौजूदगी नहीं है। इसके लिए न तो कंपनी ने संस्थापकों को इसकी पेशकश की और न ही अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने ऐसी कोई मांग रखी। इस बैठक में कंपनी के हित में खुदरा और संस्थागत निवेशक संस्थापकों में से किसी को बोर्ड में नियुक्त करने के लिए कह सकते हैं।
बोर्ड से शेयरधारक पूछ सकते हैं अहसज करने वाले सवाल
इंफोसिस की आंतरिक ऑडिट समिति को पनाया अधिग्रहण सौदे में कदाचार का आरोप साबित करने वाला कोई साक्ष्य नहीं मिला है। कंपनी ने यह जानकारी दी। फरवरी में इंफोसिस ने कहा था कि वह पोल खोलने वाले (व्हिसिलब्लोअर) के इस दावे की जांच कराएगी कि इजरायली ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी कंपनी की खरीद में अनियमितताएं बरती गईं।
व्हिसलब्लोअर ने बाजार नियामक सेबी को ईमेल भेजकर यह आरोप लगाया था। इस आरोप का खंडन करते हुए इंफोसिस ने आरोपों की अंदरूनी जांच कराने के लिए एक फर्म गिब्सन डन एंड कंट्रोल रिस्क (जीडीसीआर) की सेवा ली थी। इस फर्म ने आइटी कंपनी की स्वतंत्र जांच पूरी कर ली है। जीडीसीआर को पनाया की खरीद में गड़बड़ी का कोई सुबूत नहीं मिला। इंफोसिस ने फरवरी, 2015 में 20 करोड़ डॉलर (करीब 1,250 करोड़) में पनाया का अधिग्रहण करने का एलान किया था। जीडीसीआर ने रिपोर्ट में कहा कि न तो हितों का कोई टकराव सामने आया और न ही सौदे की मंजूरी लेने में रिश्वत का कोई लेनदेन हुआ।