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उज्जवला स्कीम के तहत मिलने वाले LPG सिलेंडर का इस्तेमाल नहीं कर रहे भारत के गरीब

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 20 मिलियन LPG कनेक्शन जारी किए गए हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 04:53 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 04:53 PM (IST)
उज्जवला स्कीम के तहत मिलने वाले LPG सिलेंडर का इस्तेमाल नहीं कर रहे भारत के गरीब
उज्जवला स्कीम के तहत मिलने वाले LPG सिलेंडर का इस्तेमाल नहीं कर रहे भारत के गरीब

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को प्रधान मंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) लॉन्च की थी। इस योजना का उद्देश्य बीपीएल परिवारों की करीब 50 मिलियन महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराना था। इस योजना ने अच्छी खासी सफलता भी हासिल की। लेकिन प्राप्त जानकारी के मुताबिक लाभार्थी प्रधान मंत्री उज्जवला योजना के तहत मिलने वाले एलपीजी गैस सिलेंडर का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। यह खबर लाइव मिंट में प्रकाशित हुई है।

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जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान करीब 20 मिलियन LPG कनेक्शन जारी किए गए, जबकि इस वित्त वर्ष के लिए 15 मिलियन का लक्ष्य तय किया गया था। ये आंकड़ें गरीबों की खाना पकाने की प्रक्रिया के लिहाज से क्रांतिकारी कदम है। कई टिप्पणीकारों ने मार्च 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक पीएमयूवाई को भी बताया था।

हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़े प्रधान मंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) को लेकर सवाल खड़े करते हैं। बेशक देश में एलपीजी कनेक्शन की संख्या बढ़ी है, लेकिन इस योजना के लाभार्थी इस योजना के तहत मिलने वाले एलपीजी सिलेंडरों का फायदा उठाते नहीं जान पड़ रहे हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में एलपीजी ग्राहकों की संख्या में वृद्धि पिछले दशक में सबसे ज्यादा थी। पीएमयूवाई इसके पीछे प्रमुख कारण था।

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 32.2 मिलियन नए एलपीजी कनेक्शन में से अकेले 20 मिलियन पीएमयूवाई बेनिफिशियरी (लाभार्थी) थी। हालांकि यह इजाफा एलपीजी सिलेंडर के उपभोग में परिलक्षित नहीं हुआ। अगर सालाना आधार पर एलपीजी सिलेंडर के उपभोग की बात करें तो वित्त वर्ष 2015-16 में 9 फीसद के आंकड़े से बढ़कर यह वित्त वर्ष 2016-17 में 9.8 फीसद तक ही पहुंच पाया। वहीं इसके विपरीत अगर एलपीजी कस्टमर की बात करें तो वित्त वर्ष 2015-16 में 10.2 फीसद के आंकड़े से बढ़कर यह वित्त वर्ष 2016-17 में 16.2 फीसद हो गया।


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