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मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सरकारी खरीद में स्वदेशी को दी जाएगी वरीयता

मेक इन इंडिया पहल को प्रोत्साहित करने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सरकारी खरीद में देश में निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता देंगे

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 10:13 AM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 10:13 AM (IST)
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सरकारी खरीद में स्वदेशी को दी जाएगी वरीयता
मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए सरकारी खरीद में स्वदेशी को दी जाएगी वरीयता

नई दिल्ली (जेएनएन)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सरकारी खरीद में देश में निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता देने की नीति पर काम कर रहा है। इसका मकसद मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पॉलिसी मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप होगी। वाणिज्य और उद्योग दोनों विभागों ने ऐसी नीति का समर्थन किया है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ग्लोबल ट्रेड रूल्स सदस्य देशों को सरकारी खरीद के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर बने उत्पादों को प्राथमिकता देने की अनुमति देते हैं।

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इस तरह की नीतियां अमेरिका सहित तमाम देशों में हैं। यही वजह है कि कई भारतीय दवा कंपनियों ने अपने मैन्यूफैक्चरिंग बेस अमेरिका में स्थापित किए हैं। देशों में सरकारी खरीद लाखों करोड़ रुपये में होती है। लिहाजा यह घरेलू कंपनियों को स्थानीय स्तर पर उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। वैसे, वस्तुओं की खरीद का इस्तेमाल कारोबारी उद्देश्य से नहीं किया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि गुणवत्ता को लेकर सरकार कोई रियायत नहीं बरतेगी। सरकारी कार्यालयों में फोन, कंप्यूटर, एसी, टीवी और स्टेशनरी की आवश्यकता होती है।

घरेलू मैन्यूफैक्चरर के लिए यह अच्छा प्रोत्साहन होगा। इससे कीमतें भी प्रतिस्पर्धी होंगी। मंत्रालय ने पिछले साल उत्पादों और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) को लांच किया था। इस कदम का मकसद सरकारी खरीद में अधिक पारदर्शिता लाना है। एक अनुमान के मुताबिक, सालाना 10,000 करोड़ रुपये की सरकारी खरीद होती है।

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