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‘ट्रेड वॉर’ की तैयारियों में अब भारत भी जुटा

उच्च स्तर पर विदेश मंत्रलय और वाणिज्य मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि वे भारतीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए आगे की रणनीति तैयार करें।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 08 Jan 2017 12:33 PM (IST)Updated: Sun, 08 Jan 2017 12:37 PM (IST)
‘ट्रेड वॉर’ की तैयारियों में अब भारत भी जुटा

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी, 2017 को अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे। इसके बाद वह जिस तरह के बदलाव करेंगे उसको लेकर भारत के नीति नियंता भी पूरी तरह से चौंकन्ने हैं। खास तौर पर ट्रंप ने जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक समझौतों को ‘रद्दी की टोकरी’ में डालने की बात कही है, उसे लेकर प्रशासनिक स्तर पर अभी से विचार विमर्श का दौर शुरू हो गया है। व्यापारिक समझौतों के अनिश्चित भविष्य को देखते हुए ही भारत ने कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर होने वाली वार्ताओं को भी फिलहाल टालने की रणनीति बनाई है। उच्च स्तर पर विदेश मंत्रलय और वाणिज्य मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि वे भारतीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए आगे की रणनीति तैयार करें।

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विदेश राय मंत्री जनरल वीके सिंह ने इस बारे में भारत की भावी रणनीति का संकेत देते हुए कहा, ‘यह वर्ष व्यापारिक समझौतों के लिहाज से काफी अहम होगा। व्यापार से जुड़े कई क्षेत्रों में अहम वार्ताओं का दौर शुरू होगा। असलियत में विदेश मंत्रालय की व्यस्तता इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताओं में भारत का पक्ष रखने को लेकर काफी रहेगी। हम भारत के हितों को मजबूती से रखने को तैयार हैं।’

सूत्रों के मुताबिक व्यापार वार्ताओं पर जारी अनिश्चितता कब खत्म होगी यह कहा नहीं जा सकता। अभी तक अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो संकेत दिए हैं उससे साफ है कि वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर अपने पुराने विचारों पर अड़े हुए हैं। यानी वह राष्ट्रपति बनने के बाद इन समझौतों पर नए सिरे से बातचीत करेंगे। यह प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर भारत के हितों को प्रभावित करता है।

मसलन, अगर अमेरिका ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से अलग होने का फैसला करता है तो यह भारत के समग्र क्षेत्रीय आर्थिक साङोदारी (आरसीईपी) के तहत 15 देशों के साथ होने वाले व्यापारिक समझौते पर पड़ेगा। अमेरिका के इस संभावित फैसले से प्रभावित होने वाले देशों जापान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया के साथ भारत को अलग रणनीति बनानी होगी। यह काफी जटिल प्रक्रिया होगी क्योंकि एक तरफ भारत को अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार देश से सामंजस्य बनाना होगा, साथ ही साझा हित रखने वाले दूसरे देशों से भी वार्ता करनी होगी।

ट्रंप के चुनाव नहीं जीतने तक माना जा रहा था कि भारत वर्ष 2017 में कम से कम ऑस्ट्रेलिया व यूरोपीय संघ के साथ समग्र व्यापारिक समझौते को अंतिम रूप दे देगा। लेकिन भारत पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल को परखना चाहेगा। यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते पर वार्ता जल्द शुरू होने के आसार हैं। उक्त दो समझौतों के अलावा भारत इंडोनेशिया, इजरायल, बिम्सटेक, थाइलैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा समेत पूर्व सोवियत गणराय के कुछ देशों के साथ भी व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है।


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