बजट में बड़े बदलाव की उम्मीद, 3 लाख हो सकती है डायरेक्ट टैक्स की सीमा
देश में नोटबंदी के बाद के हालात को देखते हुए सरकार इस वर्ष के बजट के अंतर्गत डायरेक्ट टैक्स में व्यापक फेरबदल कर सकती है
नई दिल्ली। देश में नोटबंदी के बाद उपजे हालात को देखते हुए सरकार आगामी बजट के अंतर्गत डायरेक्ट टैक्स में व्यापक फेरबदल कर मध्यवर्ग को बड़ी राहत दे सकती है। एक फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में आयकर छूट सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किए जाने संभावना है और बैंकों में पांच वर्ष के फिक्स्ड डिपॉडिट के बजाए तीन वर्ष के फिक्स्ड डिपॉडिट पर टैक्स छूट दी जा सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ईकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत इनकम टैक्स छूट सीमा मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़कर तीन लाख रुपये सालाना हो सकती है। धारा 80सी के तहत विभिन्न बचतों और निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट सीमा 1.5 लाख से बढ़कर दो लाख रुपये की जा सकती है। होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली टैक्स छूट सीमा दो लाख से बढ़कर तीन लाख रुपये की जा सकती है।
स्टेट बैंक शोध की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महाप्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांती घोष ने तैयार की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तरह की छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। लेकिन इसके आय घोषणा योजना-दो (आईडीएस II) के राजस्व और रिजर्व बैंक की निरस्त नोट देनदारी से संतुलित होने की उम्मीद है।
एसबीआई शोध के अनुसार आय घोषणा योजना के तहत करीब 50,000 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद है। नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ाने के लिए डायरेक्ट, टैक्स में यह फेरबदल हो सकता है। वर्तमान में ढाई लाख रुपए तक की व्यक्तिगत आय पर कोई टैक्स नहीं है।