बेनामी संपत्ति पर आयकर विभाग सख्त, महंगी प्रॉपर्टी पर नजर
विभाग 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की रजिस्ट्री वाली सभी प्रॉपर्टी मालिकों के टैक्स प्रोफाइल की भी जांच कर रहा है
नई दिल्ली(जेएनएन)। आयकर विभाग उन लोगों के नाम खंगाल रहा है, जिन्होंने 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य वाली प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराई है। विभाग यह काम बेनामी संपत्ति कानून के तहत कर रहा है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने यह जानकारी दी।
चंद्रा ने बताया कि बेनामी संपत्ति के तहत अब तक 621 प्रॉपर्टी जब्त की गई हैं। कई बैंक खाते भी विभाग की इस कार्रवाई की जद में आए हैं। इन मामलों में करीब 1,800 करोड़ रुपये की रकम शामिल है। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग उन मुखौटा कंपनियों और उनके निदेशकों की भी जांच कर रहा है, जिन पर पिछले दिनों प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अलावा जिन लोगों ने नोटबंदी के दौरान भारी मात्र में पुराने नोट जमा कराए हैं, विभाग उनके खिलाफ नोटिस जारी करेगा।
टैक्स प्रोफाइल की होगी जांच: सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, ‘हम उन सभी रास्तों को बंद कर देंगे, जिनका इस्तेमाल काले धन को सफेद करने में किया जाता है। इनमें मुखौटा कंपनियां भी शामिल हैं। साथ ही विभाग 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की रजिस्ट्री वाली सभी प्रॉपर्टी मालिकों के टैक्स प्रोफाइल की भी जांच कर रहा है। प्रोफाइल संदिग्ध पाए जाने पर उनके खिलाफ बेनामी संपत्ति कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।’
चंद्रा के मुताबिक कर अधिकारी बेनामी प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों पर तेजी से काम कर रहे हैं। बेनामी कानून का पालन करने के लिए 24 इकाइयां शुरू की गई हैं। कई तरह के स्नोतों से जानकारी खंगाली जा रही है। हाल ही में बंद कराई गई मुखौटा कंपनियों की भी जांच की जा रही है। अगर ऐसी फर्मो के पास बेनामी प्रॉपर्टी है या इन्होंने कोई ऐसा वित्तीय लेनदेन किया है, जिसका उनके टैक्स प्रोफाइल से मिलान नहीं है तो वे भी कार्रवाई की जद में आएंगी।
नोटबंदी के बाद पैन आवेदनों में 300 फीसद का उछाल:
सीबीडीटी के मुखिया ने बताया कि नोटबंदी के बाद पैन (परमानेंट एकाउंट नंबर) के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में 300 फीसद का इजाफा हुआ है। बीते वर्ष नवंबर से पहले हर महीने लगभग ढाई लाख पैन आवेदन किए जाते थे। नोटबंदी के एलान के बाद हर महीने यह संख्या बढ़कर औसतन 7.5 लाख हो गई।
पैराडाइज पेपर्स की विस्तृत जानकारी आने का इंतजार
मल्टी एजेंसी ग्रुप (एमडीजी) को उन भारतीय नामों के संबंध में और अधिक जानकारी पाने की कोशिश कर रहा है। चंद्रा ही एमडीजी के भी प्रमुख हैं। कर चोरी से जुड़े दस्तावेजों के लीक होने से पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संगठन आइसीआइजे को बड़ी संख्या में दुनिया भर के दौलतमंदों के नाम हाथ लगे थे। एमडीजी इसमें शामिल भारतीयों के मामले को लेकर जांच कर रहा है। इस समूह में प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई यानी एफआइयू के अधिकारी शामिल हैं।
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