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हाइब्रिड गाड़ियों पर कम हो सकती है जीएसटी की दर

कांउसिल तीन जून को होने वाली अपनी बैठक में हाइब्रिड कार पर लगाए गए 43 फीसद जीएसटी पर विचार कर सकता है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 11:15 AM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 03:26 PM (IST)
हाइब्रिड गाड़ियों पर कम हो सकती है जीएसटी की दर
हाइब्रिड गाड़ियों पर कम हो सकती है जीएसटी की दर

नई दिल्ली (जेएनएन)। जीएसटी काउंसिल हाइब्रिड कार पर लगाए गए 43 फीसद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर पुनर्विचार कर सकती है। हाइब्रिड कारों और यात्री कारों पर एक सामान टैक्स लगाया गया है। वाहन उद्योग ने हाइब्रिड कारों पर इतना अधिक टैक्स लगाने पर चिंता जताई थी। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स की दर ज्यादा हो गई है। हम इंडस्ट्री की चिंताओं को देख रहे हैं। कांउसिल तीन जून को होने वाली अपनी बैठक में इस पर विचार कर सकती है। अभी इन पर 30.3 फीसद टैक्स लग रहा है, जो जीएसटी में बढ़कर 43 प्रतिशत हो जाएगा।

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ऑटो इंडस्ट्री के मुताबिक हाइब्रिड कारों पर ज्यादा टैक्स सरकार के ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के दीर्घकालिक लक्ष्य से मेल नहीं खाता है। उद्योग इस बारे में अपना पक्ष वित्त मंत्रलय के सामने रखेगी। अभी भारत में टोयोटा की कैमरी व प्रियस और होंडा की अकॉर्ड हाइब्रिड कार बिकती है। इन कारों की कीमत 32 लाख से 39 लाख के बीच है। कई और कंपनियां इस सेगमेंट में उतरने की योजना बना रही हैं।

इस अधिकारी का कहना है कि जीएसटी की दरें काफी पहले से बता दी गई हैं, ताकि इंडस्ट्री को तैयारी का समय मिल जाए। टोयोटा किलरेस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन शेखर विश्वनाथन ने कहा कि अगर हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स को देखें तो यह पर्यावरण के खिलाफ है।

पहली जुलाई से अमल उद्योग के लिए चुनौती
पहली जुलाई से जीएसटी को लागू करना उद्योग जगत के लिए चुनौती होगा। इसलिए सरकार को कुछ तिमाहियों के लिए इसके दंड वाले प्रावधानों को मुल्तवी रखना चाहिए। इससे नई कर प्रणाली के अनुपालन में मदद मिलेगी। उद्योग चैंबर एसोचैम ने यह बात कही है।

सरकार वस्तु एवं सेवा कर को एक जुलाई से लागू करने के लिए दिन-रात काम कर रही है। इससे व्यापारियों को परिचित कराने के लिए कई वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित किए जा चुके हैं। एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया ने कहा जीएसटी को अमल में लाना उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। कुछ लोग अनजाने में गलतियां कर सकते हैं। इसलिए राजस्व विभाग को पहली एक-दो तिमाहियों तक नरम रुख अपनाना चाहिए। इसलिए कम से कम जीएसटी कानून के दंड वाले प्रावधानों से छूट दी जानी चाहिए।

ई-वे बिल पर जताई चिंता
एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर फर्म टैली सॉल्यूशंस ने जीएसटी के लिए इलेक्ट्रॉनिक वे (ई-वे) बिल पर चिंता जताई है। उसने ई-वे बिल को ऐतिहासिक अप्रत्यक्ष कर सुधार में हतोत्साहित करने वाला सबसे बड़ा कदम बताया है। कहा है कि इसके लिए छोटे ट्रांसपोर्टरों और कारोबारियों को हर कदम पर परेशानी से जूझना पड़ेगा।

रियल एस्टेट में असर को लेकर भ्रम
जीएसटी के असर को लेकर रियल एस्टेट सेक्टर में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। रियल एस्टेट के दो प्रमुख संगठनों- नारडेको और क्रेडाई ने जीएसटी को लेकर अलग-अलग सुर निकाले हैं। नारडेको का कहना है कि यह नई कर प्रणाली से देश में मकानों की कीमतें नहीं बढ़ेंगी। वहीं, क्रेडाई ने कहा है कि अगर सरकार ने जमीन पर कोई रियायत नहीं दी तो उपभोक्ताओं को मकानों के ज्यादा दाम चुकाने पड़ेंगे।

विकास दर बढ़ेगी, महंगाई नहीं
जीएसटी के अमल में आने से आर्थिक विकास दर में 0.4 फीसद की वृद्धि हो सकती है। जहां तक इसकी वजह से महंगाई बढ़ने का सवाल है तो ऐसा कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एचएसबीसी की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। अलबत्ता रिपोर्ट का यह भी कहना है कि बहुत से आइटमों को इस टैक्स से छूट दिए जाने के चलते अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का पूरा असर नहीं दिखेगा।


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