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जीएसटी कानून नहीं देगा कैग को विशेष अधिकार, लागू होने पर नहीं लगाने होंगे विभाग के चक्कर

जीएसटी लागू होने पर कैग को जीएसटी कानून के तहत राजस्व की सूचनाएं हासिल करने के लिए अलग से विशेष शक्तियां प्राप्त नहीं होंगी।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 19 Feb 2017 01:49 PM (IST)Updated: Sun, 19 Feb 2017 01:51 PM (IST)
जीएसटी कानून नहीं देगा कैग को विशेष अधिकार, लागू होने पर नहीं लगाने होंगे विभाग के चक्कर
जीएसटी कानून नहीं देगा कैग को विशेष अधिकार, लागू होने पर नहीं लगाने होंगे विभाग के चक्कर

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर कैग को जीएसटी कानून के तहत राजस्व की सूचनाएं हासिल करने के लिए अलग से विशेष शक्तियां प्राप्त नहीं होंगी। जीएसटी काउंसिल ने इस संबंध में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की मांग ठुकरा दी है। काउंसिल का कहना है कि राजस्व प्राप्ति के संबंध में सूचनाएं हासिल करने के लिए पहले ही कैग कानून के तहत ऐसी शक्तियां प्राप्त हैं। इसलिए जीएसटी मॉडल कानून में उनका अलग से प्रावधान नहीं किया जा सकता।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 10वीं बैठक में कैग की इस मांग के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। बैठक के बाद जेटली ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को पहले से ही कैग कानून के तहत सरकार से लोक वित्त के संबंध में कोई भी सूचना प्राप्त करने की शक्तियां मिली हुई हैं। काउंसिल के सदस्यों ने महसूस किया कि पहले से ही कैग कानून ऐसे अधिकार मिले होने के कारण अलग से ऐसी व्यवस्था नहीं की जा सकती। जेटली ने सवालिया लहजे में कहा कि जब आयकर कानून में भी ऐसी शक्तियां कैग को अलग से नहीं दी गई हैं तो फिर परोक्ष कर के संबंध में क्यों दी जाएं।

काउंसिल ने अपनी छठी बैठक में 11 दिसंबर, 2016 को मॉडल जीएसटी कानून से धारा 65 को हटाने का फैसला किया था। इसमें कैग को जीएसटी से राजस्व प्राप्ति के संबंध में किसी भी तरह की सूचनाएं मांगने की शक्ति दी गई थी। काउंसिल ने इसकी जानकारी कैग को दी। इसके बाद कैग शशिकांत शर्मा ने यह मुद्दा सरकार के समक्ष उठाया। इस दौरान उन्होंने कैग की शक्तियों से संबंधित प्रस्तावित प्रावधान को बरकरार रखने का आग्रह किया। यही वजह है कि सरकार ने शनिवार को हुई 10वीं बैठक में रायों के समक्ष एक बार पुन: धारा 65 को रखा, लेकिन काउंसिल इस पर सहमत नहीं हुई।

जीएसटी आने पर नहीं लगाने होंगे विभाग के चक्कर

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि व्यापारियों को कर विभाग के चक्कर लगाने की कोई जरूरत नहीं होगी। सरकार चाहती है कि व्यापारी विभाग से जितना दूर रहे, उतना अच्छा है। उनके इस बयान से यह जाहिर हो रहा है कि सरकार इंस्पेक्टर राज को कम करना चाहती है। जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि व्यापारी चिंता न करें। जीएसटी उनकी परेशानी कम करने के लिए है। अब तक अलग -अलग तरह के पांच टैक्सों की गणना के लिए अलग-अलग विभागों में व्यापारियों को दौड़ना पड़ता है। जीएसटी में उसे सिर्फ एक ही स्थान पर टैक्स अनुपालन करना होगा। यही सबसे बड़ी राहत की बात होगी। उन्होंने साफ कहा कि जहां तक राय के कराधान विभाग के अधिकारों में कमी आने की बात है, तो यह सही है। ऐसा होना भी चाहिए।

जेटली ने वास्तविक लागत मूल्य को छिपाने की आशंका पर साफ किया कि अब ऐसा करना बहुत मुश्किल होगा क्योंकि सरकार ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है जिससे वास्तविक लागत मूल्य को छिपाना लगभग मुमकिन नहीं होगा। आशंका है कि जीएसटी से टैक्स कम होने पर भी निर्माता वस्तुओं की कीमत कम न करके लागत ज्यादा दिखा सकते हैं। इस पर जेटली ने कहा कि सरकार इस बिंदु पर गंभीर है और ऐसा करने वालों पर लगाम कसने की तैयारी की जा रही है।


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