GST पोर्टल पर बढ़ाई जाएंगी सुविधाएं
अब व्यापारी अपनी सुविधा अनुसार अपने ऑफिस से ही टैक्स कंप्लायंस कर सकेंगे
नई दिल्ली (सीए मनोज पी गुप्ता)। जीएसटी के साथ ही एक ऐसे युग की शुरूआत होने जा रही है जहां अप्रत्यक्ष कर से जुड़ी हर चीज पूरे समय अपडेट रहेगी। यह सब संभव हो सकेगा जीएसटी के कॉमन पोर्टल के साथ।पारदर्शिता, समय पर काम और सुविधा बढ़ाने के लिए जीएसटी पोर्टल को कई आधुनिक फीचर्स के साथ हाइटेक और यूजर फ्रेंडली बनाया गया है। अब व्यापारी अपनी सुविधा के मुताबिक अपने ऑफिस में ही बैठक वो सारे टैक्स कंप्लायंस कर सकेगा जिसके लिए उसे अभी तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और समय खराब करना पड़ता था। www.gst.gov.in पर लॉगइन करते ही कोई भी करदाता जीएसटी कॉमन पोर्टल पर ये काम कर सकेगा
-जीएसटीएन मतलब रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना, पुराने रजिस्ट्रेशन में संशोधन करवाना या फिर रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की प्रक्रिया।
-टैक्स के लिए चालान जनरेट करना और नेट बैंकिंग से टैक्स को जमा कराना। अब बैंकों में लाइन मं लगकर चालान जमा कराने और फिर वापस चालान लेकर जाने की झंझटपूर्ण रूप से खत्म हो जाएगी।
-ऑनलाइन रिटर्न फाइल करना, रियल टाइम बेसिस पर अपलोड हो रही इनपुट टैक्स क्रेडिट को वैरिफाइ्र करना, ऑटो जनरेटेड पर्चेस रजिस्टर में सुधार करना। अब रिटर्न से संबंधित किसी भी बात के लिए टैक्स डिपार्टमेंट में जाने की जरूरत नहीं होगी।
-किसी भी व्यापारी को कितना टैक्स जमा करना है, कितना टैक्स जमा हो चुका है, कितनी इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध है, ब्याज, पेनल्टी और विभाग की तरफ से कितना कर निर्धारित किया गया है इसकी पूरी जानकारी किसी भी व्यापारी को जीएसटी कॉमन पोर्टल पर देखने को मिल सकेगी।
- नॉर्मल से कंपाउंडिंग और कंपाउंडिंग से नॉर्मल यह स्टेटस ऑनलाइन बदला जा सकेगा।
- टैक्स रिफंड का आवेदन और त्रुटि सुधार के आवेदन के ऑनलाइन स्टेटस जानने की सुविधा कॉमन पोर्टल पर एचआरएन यानि कि एप्लीकेशन रेफरेंस नंबर के माध्यम से उपलब्ध होगी।
इसके अतिरिक्त जीएसटी पोर्टल पर करदाता को कर प्रक्रिया समझाने के लिए वीडियो, यूजर मैनुअल और मॉडल प्रश्न और उत्तर जिन्हें एफएक्यू कहा जाता है, ये भी उपलब्ध होंगे।
तो क्या सरकारी दफ्तर बिल्कुल ही नहीं जाना होगा
ऐसे करदाता जो समय पर टैक्स और रिटर्न भरेंगे उन्हें सामान्य तौर अब टैक्स डिपार्टमेंट नहीं जाना होगा। इसी तरह से फॉर्म 49 और फॉर्म सी जैसी व्यवस्था खत्म हो जाने से भी डिपार्टमेंट के चक्कर खुद ही बंद हो जाएंगे।लेकिन रजिस्ट्रेशन के आवेदन की मंजूरी रजिस्ट्रेशन के निरस्तीकरण सीमित संख्या में हाने वाले एसेसमेंट, ऑडिट, रिफंड अपील के लिए अब भी कर अधिकारियों के पास जाना होगा।
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