चल संपत्तियां भी बेनामी कानून के दायरे में, अब इन पर भी होगी कार्यवाही
सरकार अब गलत तरीके से हासिल की गई चल संपत्ति पर भी कार्यवाही की तैयारी कर रही है
नई दिल्ली (जेएनएन)। सरकार ने स्पष्ट किया है कि गैर कानूनी तरीके से अर्जित की गई चल संपत्तियां भी बेनामी कानून के दायरे में आती हैं और उनके खिलाफ भी कार्यवाही होगी। लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बेनामी कानून सिर्फ अचल संपत्तियों तक सीमित नहीं है वो चल संपत्तियों जैसे शेयर, नकदी, सोना आदि पर भी लागू होता है और कंपनियों के जरिये पैसा घुमाने के मामले भी इसी कानून के दायरे में आएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां और राजनेताओं के लिए अलग कानून बनाने की जरूरत नहीं है। ऐसी कंपनियों में अगर इनका पैसा भी आता है तो वे बेनामी कानून और इनकम टैक्स कानून के दायरे में ही आएंगे।
लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि कई मामलों में ऐसा होता है जिसमें प्रत्यक्ष रूप से जो मालिक दिख रहा होता है वह कंपनी का वास्तविक मालिक नहीं होता। असली मालिक कोई और होता है। इसलिए ऐसे मामलों में भी बेनामी कानून के तहत ही कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि किसी को भी कंपनी रजिस्टर्ड कराने का अधिकार है। इसके तहत बताया जाता है कि कंपनी किस एड्रेस से चलेगी और इसमें डायरेक्टरों और प्रमुख शेयरधारकों का नाम दिया जाता है। साथ ही इस बात की जानकारी भी रजिस्ट्रेशन के वक्त दी जाती है कि फलां कंपनी यह व्यवसाय करेगी। लेकिन वही कंपनी तब व्यावहारिक तौर पर मुखौटा कंपनी हो जाती है जिसका कोई उद्योग या व्यवसाय नहीं होता है। यह कंपनी केवल पैसे को घुमाने के लिए बनायी जाती है।
जेटली ने सदस्यों को बताया कि इनकम टैक्स कानून और बेनामी कानून के तहत इन मुखौटा कंपनियों के खिलाफ पिछले दिनों काफी तीव्रता से कार्रवाई हुई है और वह चलती रहेगी। पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें लोगों ने कंपनियां तो पंजीकृत करा लीं लेकिन कंपनी कानून के मुताबिक न तो उन्होंने रिटर्न फाइल किया और न ही बैलेंस शीट बनायी। ऐसी कंपनियों को ही पैसा घुमाने के मकसद से बनाया जाता है। सरकार ने कार्रवाई करते हुए पिछले दिनों ऐसी एक लाख 78 हजार कंपनियों का पंजीकरण निरस्त किया है। हाल ही में कंपनी मामलों के विभाग ने ऐसी कंपनियों की सूची बाजार नियामक सेबी को भी भेजी है, जिसके बाद बाजार में उथल पुथल मची है।
भाजपा के आरा से सांसद आर. के. सिंह ने सुझाव दिया कि बिना वेरिफिकेशन के कंपनियों के पंजीकरण की व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था को सख्त किया जा सकता है लेकिन हमें व्यवस्था में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस भी स्थापित करना है। इस भावना के तहत आवेदन के एक-दो दिन के भीतर कंपनियों का पंजीकरण करने की व्यवस्था की गई है। सरकार की मंशा स्पष्ट है कि कंपनी के रजिस्ट्रेशन में दिक्कत न हो लेकिन अगर कोई इसका दुरुपयोग करता है तो उसे पकड़ा जा सके।