भारत के कड़े रुख के बाद अमेरिका का रुख नरम
भारतीय आइटी कंपनियां अमेरिकी वीजा पर काफी ज्यादा निर्भर हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। एच-1बी वीजा मसले पर भारत के कड़े तेवर के बाद अमेरिका के रुख में नरमी आई है। उसने कहा है कि भारतीय कंपनियों का अमेरिका में निवेश है और वह दोनों पक्षों के बीच मजबूत आर्थिक रिश्ते बनाये रखना चाहता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले दिनों अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन के साथ बातचीत में वीजा मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।
अमेरिकी विदेश विभाग के कार्यवाहन प्रवक्ता मार्क टोनर ने न्यूज कांफ्रेंस में कहा कि हम भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते मजबूत होते देखना चाहते हैं। यह जवाब उन्होंने ट्रंप प्रशासन द्वारा वीजा व्यवस्था की समीक्षा किये जाने पर पूछे गये सवाल पर दिया। इससे भारतीय आइटी कंपनियों पर खासा असर पड़ सकता है। भारतीय आइटी कंपनियां अमेरिकी वीजा पर काफी ज्यादा निर्भर हैं।
टोनर ने कहा कि हम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों के निवेश को अत्यंत अहम मानते हैं। इससे अमेरिका में नौकरियां पैदा करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि हम वीजा संबंधी नई शर्तो को अहम मानते हैं। देखना होगा कि वीजा शर्तो में क्या बदलाव हुआ है। अमेरिका वीजा इंटरव्यू और मंजूरी की प्रक्रिया को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। शुरू से ही ट्रंप प्रशासन की यह नीति रही है। निश्चित ही हम इस नीति में प्रवासियों और शरणार्थियों का सम्मान करेंगे। वीजा प्रक्रिया में बदलाव का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह निरंतर प्रक्रिया है।
जेटली ने पिछले शनिवार को अमेरिकी दौरे के समय अमेरिकी वित्त मंत्री के साथ बातचीत में मजबूती से उठाया था। उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों के योगदान का प्रमुखता से उल्लेख किया था। उन्होंने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस के साथ बैठक में भी इस मसले पर चिंता उठाई थी। पिछले दिनों अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय आइटी कंपनियों जैसे टीसीएस, इन्फोसिस और कग्निजेंट पर ज्यादा वीजा हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन जमा कराने का आरोप लगाया था।
इसके बाद आइटी उद्योग के संगठन नैस्कॉम ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। अमेरिका में वीजा को लेकर सख्ती पर भारतीय आइटी कंपनियां काफी चिंतित हैं। उन्हें आशंका है कि इससे उनका बिजनेस मॉडल प्रभावित होगा। गौरतलब है कि भारतीय आइटी निर्यात में अमेरिका का योगदान 60 फीसद के आसपास होने के कारण वीजा पर कंपनियों की निर्भरता काफी ज्यादा है।
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