31 मई तक दीजिए सरकार को बिटक्वाइन पर राय, पाबंदी लगाई जाए या नियम-कानून दायरे में लाया जाए
सरकार लोगों की राय जानकर बिटक्वाइन को लेकर जल्द फैसला लेना चाहती है
नई दिल्ली (जेएनएन)। रैनसमवेयर अटैक के बाद डिजिटल दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हो रही बिटक्वाइन को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं। इस वायरस से कंप्यूटर हैक हुए और उनसे बिटक्वाइन के रूप में फिरौती मांगी गई है। इस तरह के बढ़ते खतरे से सतर्क केंद्र सरकार कदम उठाने में जुट गई है। सरकार ने आम लोगों से राय मांगी है कि क्या बिटक्वाइन पर पाबंदी लगाई जाए या इसे नियम-कानून के दायरे में लाया जाए अथवा स्वत: नियमन में रहने दिया जाए। लोग अपनी राय 31 मई तक सुझाव दे सकते हैं।
सरकार लोगों की राय जानकर वचरुअल करेंसी (वीसी) यानी बिटक्वाइन को लेकर जल्द फैसला लेना चाहती है। इस बहस का दायरा बढ़ाते हुए केंद्र ने लोगों से अपने प्लेटफॉर्म माईजीओवी पर सुझाव मांगे हैं। सार्वजनिक चर्चा से जुड़े इस प्लेटफॉर्म को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई, 2014 में लांच किया था। वीसी को डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी के नाम से भी जाना जाता है। वचरुअल करेंसी का चलन दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने भी आम लोगों, इसे रखने वालों और इसमें कारोबार करने वालों को इसके खतरे को लेकर चेताया था। इस डिजिटल मुद्रा की लोकप्रियता से परेशान सरकार को डर है कि भारत में ज्यादा रिटर्न का लालच देकर बड़ी संख्या में लोगों को फंसाया जा सकता है। नियामक भी आशंका जता रहे हैं कि धोखाधड़ी करने वाले बिटक्वाइन का दुरुपयोग कर भोले-भाले निवेशकों को ‘ई-पोंजी’ स्कीमों में पैसा लगाने का लालच दे सकते हैं। इससे लोगों के पैसे डूब सकते हैं। साथ ही डिजिटल दुनिया में फिरौती लेने का नया तरीका तैयार हो सकता है।
क्या है बिटक्वाइन
यह एक तरह की डिजिटल करेंसी है। इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में बनाया और रखा जाता है। यह एक ऐसी मुद्रा है, जिस पर किसी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं है। रुपये या डॉलर की तरह इसकी छपाई नहीं की जाती। सोमवार को इसकी एक यूनिट की कीमत 2200 डॉलर (करीब 1.42 लाख रुपये) के स्तर तक पहुंच गई है। इस लिहाज से यह दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है।