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एफएमसीजी कंपनियों ने सप्लाई की रफ्तार घटाई

जीएसटी के लागू होने से पहले एफएमसीजी कंपनियों ने भी सप्लाई की रफ्तार धीमी कर दी है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 10:48 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 10:48 AM (IST)
एफएमसीजी कंपनियों ने सप्लाई की रफ्तार घटाई
एफएमसीजी कंपनियों ने सप्लाई की रफ्तार घटाई

नई दिल्ली (जेएनएन)। पहली जुलाई से जीएसटी अमल में आने के बाद अपनी इन्वेंट्री को लेकर आशंकित डीलरों ने अपना स्टॉक घटाना शुरू कर दिया है। इसे देखते हुए प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों ने भी सप्लाई की रफ्तार धीमी कर दी है। कंपनियों का मानना है कि दूसरी तिमाही तक बाजार की स्थिति इसी तरह बनी रहेगी। लेकिन उसके बाद बाजार में सप्लाई की स्थिति सामान्य हो जाएगी।

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एफएमसीजी कंपनियां खुद अपने डीलर नेटवर्क को जीएसटी के लिए तैयार कर रही हैं। डाबर, मैरिको और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट जैसी कंपनियां खुद डीलरों की इन्वेंट्री को घटाने में मदद कर रही हैं। फ्रिज, टीवी और वाशिंग मशीन जैसे उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के डीलर भी बिक्री बढ़ाकर इन्वेंट्री कम करने में लगे हुए हैं। मैरिको के सीएफओ विवेक कर्वे के मुताबिक जीएसटी को लेकर कुछ हद तक चिंता और अस्पष्टता दोनों हैं। इसके चलते इस महीने के अंत तक डीलर नेटवर्क को सप्लाई की रफ्तार धीमी हो सकती है।

चूंकि जीएसटी लागू होने के बाद डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के सभी बिंदुओं पर इन्वेंट्री का ब्यौरा सभी को देना होगा इसलिए इस नेटवर्क के अधिकांश डीलर अपने पास रखे माल को कीमतें घटाकर खपा रहे हैं और कंपनियों से नया माल लेने से बच रहे हैं। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के एक अधिकारी के मुताबिक उम्मीद है कि जीएसटी लागू होने के साथ-साथ डीलरों की तरफ से अपने स्टॉक को कम करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। इसलिए कंपनियां भी अपनी तरफ से डीलर नेटवर्क पर स्टॉक लेने के लिए दबाव नहीं डाल रही हैं। कंपनियां खुद इस बात के अतिरिक्त प्रयास कर रही हैं कि उनके डीलरों को नुकसान नहीं उठाना पड़े। डाबर के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक कंपनी की कोशिश है कि रिटेल के स्तर पर उनके उत्पादों की सप्लाई से जुड़े डीलरों को बिक्री में किसी तरह का नुकसान न हो। हालांकि तकरीबन सभी कंपनियों के अधिकारी मान रहे हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद कुछ समय तक मांग में कमी बने रहने की पूरी संभावना है।

कुछ कंपनियों का यह भी मानना है कि अगर जीएसटी की दर में कमी से मिल रहे लाभ को अगर उपभोक्ता तक पहुंचाया जाए तो मांग में कमी नहीं आएगी। इससे खपत का स्तर भी बना रहेगा और डीलर नेटवर्क को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा। सरकार भी लगातार इस बात के प्रयास कर रही है कि पहले दिन से ही कंपनियां कीमतों में कमी का फायदा अपने ग्राहकों को दें। जीएसटी के तहत होमकेयर में शैम्पू आदि उत्पादों को छोड़ दें तो ज्यादातर एफएमसीजी उत्पाद 18 फीसद जीएसटी के दायरे में आ रहे हैं।

विक्रेताओं का भ्रम दूर करने की कोशिश शुरू
वस्तु व सेवा कर प्रणाली लागू होने में अब बहुत कम समय बचा है, लेकिन खुदरा विक्रेताओं में इसे लेकर चिंता बनी हुई है। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन फिर से शुरू होने के बाद विक्रेताओं ने इसका रुख तो किया है, मगर इसकी बुनियादी बातों और अनुपालन के दायित्वों को लेकर अधिकांश अभी तक अनजान हैं। इसे देखते हुए कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) ने उनकी दिक्कतों को दूर करने की पहल की है। इसके अलावा सीएआइटी ने जीएसटी से जुड़ी शिकायतों के लिए ओंबुड्समैन बनाने की मांग की है।

देश में खुदरा विक्रेताओं की बड़ी संख्या जीएसटी की सफलता का आधार है। फिलहाल देश में करीब साढ़े चार करोड़ खुदरा विक्रेता होने का अनुमान है। लेकिन यही वर्ग जीएसटी को लेकर सबसे ज्यादा भ्रम में है। विक्रेताओं के इन्हीं भ्रमों को दूर करने के लिए सीएआइटी ने सोमवार को एक श्वेतपत्र जारी किया है। इसमें जीएसटी से जुड़े सभी अहम बिंदुओं को समझाया गया है।

कंफेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया का कहना है कि वे व्यापारियों और अन्य सभी लोगों को जीएसटी के महत्वपूर्ण बिंदुओं से परिचित कराना चाहते हैं। व्यापारियों के लिए यह समझना बेहद आवश्यक है कि जीएसटी एक टेक्नोलॉजी आधारित कराधान प्रणाली है। यह वर्तमान में लागू वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स व्यवस्था से एकदम अलग है। कंफेडरेशन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि उनके संगठन ने इस बात का पहले ही कयास लगा लिया था कि व्यापारी इसके अनुपालन दायित्व से अनजान हैं।


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