Move to Jagran APP

ITR FILING में 5 तरह की इनकम बताना भूल जाते हैं करदाता, जानिए

ITR फाइलिंग के दौरान अक्सर करदाता कुछ तरीकों से होने वाली आय को भूल जाते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 04:58 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jul 2017 04:18 PM (IST)
ITR FILING में 5 तरह की इनकम बताना भूल जाते हैं करदाता, जानिए
ITR FILING में 5 तरह की इनकम बताना भूल जाते हैं करदाता, जानिए

नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2017 है। अगर आप नौकरीपेशा है तो आपके नियोक्ता ने भी आपको फॉर्म-16 दे दिया होगा। लेकिन फॉर्म 16 के आधार पर आईटीआर फाइल करने वाले लोग अक्सर 5 तरीकों की आय को बताना भूल जाते हैं। हमने इस बारे में ई-मुंशी (emunshe. Com) के टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंटेंट अंकित गुप्ता से बात की है, जानिए उन्होंने क्या कहा।

loksabha election banner

अंकित गुप्ता ने बताया कि आईटीआर फाइल करने वाले लोग अक्सर कुछ तरीके से होने वाली आय का उल्लेख करना भूल जाते हैं क्योंकि इसका जिक्र फॉर्म-16 में नहीं होता। आमतौर पर इन पांच तरीकों से होने वाली आय को बताना भूल जाते हैं करदाता...

सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज:

आपको मालूम होना चाहिए कि सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स के दायरे में होता है, हालांकि अगर सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला सालाना ब्याज 10,000 रुपए है तो इस पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है।

पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज:

पोस्ट ऑफिस के टर्म डिपाजिट पर मिलने वाला ब्याज भी पूरा का पूरा टैक्सेबल होता है इसलिए आईटीआर फाइलिंग के दौरान आपको इसका भी उल्लेख करना चाहिए, लेकिन लोग अक्सर ऐसा करना भूल जाते हैं।

आवर्ती जमा पर मिलने वाला ब्याज:

आवर्ती जमा (Recurring Deposits) पर मिलने वाला पूरा का पूरा ब्याज भी टैक्सेबल होता है। ऐसे में अगर आप इमानदार करदाता हैं तो आपको इसका भी उल्लेख करना चाहिए।

किराएदारी से मिलने वाले पैसे पर:

किराएदारी से मिलने वाले पैसे का उल्लेख करना भी आईटीआर फाइलिंग के दौरान जरूरी होता है, लेकिन नौकरीपेशा लोग अक्सर इसे इसलिए नजरअंदाज कर देते हैं क्योंकि इसका भी उल्लेख फॉर्म-16 में नहीं होता है।

नाबालिग बच्चों की आय:

अगर किसी परिवार में नाबालिग बच्चे भी विज्ञापन, किसी एड फिल्म, सीरियल्स या फिर फिल्म के माध्यम से कमाई करते हैं को उस आय को माता या पिता (जिसकी भी कमाई ज्यादा हो) की कमाई में जोड़ दिया जाता है और फिर उस पर टैक्स की देनदारी बनती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.