बिजली दरों में नहीं होगा ज्यादा इजाफा
नए वित्त वर्ष से देश के अधिकांश रायों में बिजली की दरों में ज्यादा वृद्धि की गुंजाइश नहीं है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। हर वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही आम जनता पर बिजली दरों को बढ़ाने का जो सिलसिला शुरु हो जाता था, वह शायद इस बार कम दिखेगा। देश के अधिकांश रायों में इस बार बिजली की दरों में ज्यादा वृद्धि की गुंजाइश नहीं है। यह देश में कोयला उत्पादन में भारी बढ़ोतरी और इसकी कीमतों के स्थिर बने रहने से संभव हो रहा है। कोयला उत्पादन में वृद्धि के साथ ही देश में नए थर्मल पावर प्लांट नहीं लगाने का फैसला भी कोयला कीमतों को थाम कर रखे हुए है। इस बात के संकेत ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने भी दिए हैं।
देश में कोयला की उपलब्धता बढ़ने का बेहद सकारात्मक असर हुआ है। अभी तक आयातित कोयले पर निर्भर कंपनियों ने भी घरेलू कोयले का उपयोग शुरू कर दिया है। इस मामले में सबसे अहम घटना यह हुई है कि तमिलनाडु सरकार ने चेय्युर अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए ओडिशा से कोयला खरीदने का फैसला किया है। पहले इस परियोजना के लिए इंडोनेशिया से आयातित कोयला लाने की तैयारी थी। गोयल के मुताबिक देश की अन्य ताप बिजली कंपनियों को भी इसके लिए तैयार किया जा रहा है कि वे अपने प्लांट में आवश्यक बदलाव करें ताकि घरेलू कोयले का ज्यादा से ज्यादा दोहन किया जा सके। हाल ही में सबसे बड़ी सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी के कई पावर प्लांटों संयंत्रों के उन्नयन के लिए 20,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है।
बिजली मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अब यह तय है कि देश में बड़े नए थर्मल पावर प्लांट नहीं लगाए जाएंगे। ऐसे में देश की कोयला खदानों का पूरी तरह से दोहन किया जाएगा। पिछले तीन वर्षो से देश में कोयला उत्पादन में 10 करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। सभी बिजली घरों के पास पर्याप्त कोयला है। वैसे तो सौर व पवन ऊर्जा में जिस तरह से तकनीकी प्रगति है, उससे आने वाले दिनों में कोयला आधारित प्लांट की जरूरत ही नहीं रहेगी। ऐसे में सरकार ज्यादा से ज्यादा कोयला निकालने पर जोर दे रही है। साथ ही सरकार की तरफ से बिजली घरों को आपस में कोयला ब्लॉकों का आदान- प्रदान करने की अनुमति दिए जाने से उनकी ढुलाई लागत कम हो रही है। खनन कर निकाले गए कोयले की धुलाई के लिए भी नई व्यवस्था विकसित की जा रही है, ताकि देश में अछी किस्म के कोयले की उपलब्धता यादा हो सके। इन सभी से देश में बिजली की दरों को थाम कर रखने में मदद मिलेगी।
सोलर प्लांट की बिजली सस्ती: दरों के स्थिर रहने या उनमें ज्यादा वृद्धि नहीं होने के पीछे एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि सौर ऊर्जा प्लांटों से बनने वाली बिजली की दरों में लगातार कमी आ रही है। हाल ही में एक कंपनी ने आंध्र प्रदेश में तीन रुपये से भी कम कीमत पर बिजली बनाने का प्रस्ताव किया है। वैसे, इन सोलर पावर प्लांटों से बिजली अगले एक से दो वर्ष के भीतर मिलेंगी, लेकिन इसने ताप बिजलीघरों के लिए चुनौती पैदा कर दी है।