डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए सरकार ने तीन साल में बचाए 50,000 करोड़ रुपए
डीबीटी स्कीम के जरिए सरकार ने बीते तीन सालों में काफी सारे पैसों की बर्बादी बचाई है
नई दिल्ली (जेएनएन)। बीते तीन सालों के दौरान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए होने वाली बचत के आंकड़े ने 31 दिसंबर 2016 को 50,000 करोड़ रुपए के स्तर को छू लिया। यह जानकारी सरकार के ताजा आंकडों के जरिए सामने आई है। यह राशि इस वित्त वर्ष में डीबीटी के अंतर्गत भुगतान की गई सब्सिडी के बराबर है। यानी यह एक साल का सब्सिडी बचत के बराबर है।
इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “इस बचत के आंकड़े के इस वित्त वर्ष के दौरान और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के मुताबिक सरकार 31 मार्च 2018 तक 64 मंत्रालयों की कुल 533 केंद्रीय भुगतान योजनाओं को डीबीटी मैकेनिज्म के तहत ले आएगी।” मौजूदा समय में 17 मंत्रालयों की 84 योजनाओं को डीबीटी के अंतर्गत कवर किया गया है, 31 मार्च 2015 को यह आंकड़ा 34 योजनाओं का था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यूपीए सरकार के कार्यकाल में सिर्फ बड़े घोटालों और लाखों करोड़ों के घाटे के बारे में बात होती थी। अब यहां किसी भी तरह के घोटाले नहीं है...इसके बजाय हमने सही लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी की मात्रा को जमा करके 50,000 करोड़ रुपये बचाए हैं।” गौरतलब है कि मौजूदा समय में करीब 33 करोड़ लोग डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के अंतर्गत अपने बैंक खातों में सीधे सब्सिडी प्राप्त करते हैं।