डिजिटल अर्थव्यवस्था: नौकरियों के अवसर देने की योजना पर काम कर रही है सरकार
सरकार डिजिटल इकोनॉमी के अंतर्गत लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की दिशा में काम कर रही है।
नई दिल्ली (नितिन प्रधान )। युवाओं के लिए देश में रोजगार की कमी दूर करने और गांव-देहात और छोटे शहरों से उनका बड़े शहरों की तरफ पलायन रोकने के लिए सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत नौकरियों के अवसर देने की योजना पर काम कर रही है। सरकार का मानना है कि इस नीति पर चलकर अगले पांच-सात साल में 25 से 30 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं।
सरकार इस नीति के तहत दो स्तरों पर काम कर रही है। पहला गांव-देहात में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले कॉमन सर्विसेज सेंटर के जरिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना। दूसरा छोटे शहरों में कम सीट वाले बीपीओ के जरिये रोजगार के अवसर देना। कॉमन सर्विस सेंटर गांव देहात में डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रमुख वाहक बने हैं जिनके जरिये लोगों तक ऑनलाइन सरकारी सेवाएं पहुंच रही हैं। ये सेंटर जिन्हें आम भाषा में सीएससी कहा जाता है, आधार पंजीकरण, पासपोर्ट आवेदन, ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन से लेकर कई तरह की सरकारी सेवाएं लोगों को मुहैया कराते हैं।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में मौजूद ढाई लाख सीएससी आज की तारीख में 10 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। जैसे-जैसे सीएससी की गतिविधियों और सेवाओं का विस्तार होगा, वहां रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे।
दूसरी तरफ मंत्रालय के अधीन आने वाले सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्सा आफ इंडिया (एसटीपीआइ) की इंडिया बीपीओ प्रमोशन स्कीम के तहत उद्योगों को छोटे शहरों में बीपीओ खोलने लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हाल ही में सरकार ने यूपी, बिहार और महाराष्ट्र के कई टियर टू व टियर थ्री शहरों में नए बीपीओ खोलने की अनुमति दी है। वाराणसी और पटना जैसे शहरों में ऐसे बीपीओ पहले ही काम करना शुरू कर चुके हैं। प्रसाद कहते हैं ‘इनके खुलने से स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होंगे और युवाओं का वहां से पलायन रुकेगा।’
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सरकार के ये प्रयास डिजिटल अर्थव्यवस्था के जरिये युवाओं को रोजगार देने का काम करेंगे। उन्होंने इस आशंका से भी स्पष्ट इन्कार किया कि आइटी क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं। प्रसाद ने कहा, ‘यह धारणा पूरी तरह बेबुनियाद है। इस बारे में आइटी उद्योग की शीर्ष संस्था नैस्कॉम खुद आगे आकर ऐसी आशंकाओं का खंडन कर चुकी है।’
अलबत्ता उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सरकार सतर्क है और मंत्रालय ने अगले महीने आइटी उद्योग के साथ एक बैठक बुलाई है जिसमें उद्योग में नौकरियों के अवसर बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। सरकार मान रही है कि अगले छह-सात साल में देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार 65 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। प्रसाद मानते हैं कि इस सूरत में यह क्षेत्र नौकरियां उपलब्ध कराने में काफी अहम भूमिका में होगा। कई एजेंसियों का अनुमान है कि उस वक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था 25 से 30 लाख नौकरियां देने की स्थिति में होगी। प्रसाद ने कहा, ‘आज कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में चल रही नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। लेकिन एक भी गरीब ने आधार को लेकर कोई शिकायत नहीं की है।