कोयला उत्पादन में वृद्धि से 3 साल में 25,900 करोड़ रुपए बचाए गए: कोल इंडिया
कोल इंडिया ने समझाया है कि कैसे देश की आयातित कोयले पर निर्भरता को कम किया जा सकता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। कोल इंडिया के अंतरिम चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गोपाल सिंह ने बताया कि बीते तीन सालों के दौरान कोयला उत्पादन में हुई वृद्धि के कारण माइनिंग मेजर कोल इंडिया लिमिटेड ने 25,900 करोड़ रुपए (विदेशी मुद्रा) की बचत की है। कंपनी की वार्षिक आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, “पिछले तीन सालों (फिस्कल) में कोयला उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है, जिस वजह से आयात के संदर्भ 25,900 करोड़ रुपए की बचत हुई है।”
सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान कोयले के कुल उपभोग में आयातित कोयले की हिस्सेदारी 25 फीसद रही है। वहीं वित्त वर्ष में साल 2016-17 के दौरान यह आंकड़ा 23 फीसद का रहा। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की ओर से हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश में कम से कम एक दर्जन से अधिक तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की स्थिति काफी गंभीर है। सिंह ने यहां पर घरेलू जीवाश्म ईंधन भंडार का उपयोग करने पर जोर दिया ताकि भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके और आयात को कम किया जा सके।
उन्होंने कहा, “तेल एवं गैस के आयात पर निर्भरता को हमारे गरीब भंडारों को देखते हुए समझी जा सकती है, लेकिन कोयले और विशेषकर नॉन कुकिंग कोल पर हमारी निर्भरता ऐसी है जिसे घरेलू कोयला भंडार के दोहन के जरिए कम किया जा सकता है।”
सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में भारत की वाणिज्यिक प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति में कोयले की हिस्सेदारी 55 फीसद थी और इसके साल 2040 तक भी 48 से 54 फीसद के साथ उच्चतम स्तर पर बने रहने की संभावना है। उन्होंने रेखांकित करते हुए बताया कि सरकारी खनन कंपनियों को अपनी ग्रोथ को दोगुना करने की जरूरत है ताकि उत्पादन लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।