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वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध से एक्सपोर्ट को झटका, नौकरियों पर संकट

मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर लगाए गए प्रतिबंध से बीफ निर्यात के साथ साथ रोजगार का संकट भी खड़ा होगा।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 12:51 PM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:36 PM (IST)
वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध से एक्सपोर्ट को झटका, नौकरियों पर संकट
वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध से एक्सपोर्ट को झटका, नौकरियों पर संकट

नई दिल्ली (रॉयटर्स)। पशु बाजार से वध के लिए जानवरों की खरीद-फरोख्त पर लगाए गए  प्रतिबंधित से सीधे तौर पर 4 बिलियन डॉलर (400 करोड़ डॉलर) का सालाना बीफ निर्यात प्रभावित होगा। साथ ही इससे नौकरियों का संकट भी गहरा सकता है। अगर सरकार पिछले हफ्ते की गई अपनी घोषणा को रद्द नहीं करती है तो यह स्थिति देखने को मिल सकती है। यह जानकारी इंडस्ट्री से जुड़े कुछ अधिकारियों ने दी है।

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मुस्लिम-प्रभुत्व वाले मांस उद्योग के लिए हालिया झटका सरकार के उस आदेश ने दिया है जिसमें कहा गया है कि पशु बाजार केवल कृषि प्रयोजनों जैसे जुताई और दुग्ध उत्पादन के लिए ही किया जाएगा। यह बैन उस मुस्लिम समाज के लिए बेहतर नहीं है, जो 1.3 बिलियन आबादी वाले भारत में 14 फीसद की हिस्सेदारी रखता हैं। साल 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही कुछ हिंदू कट्टरपंथी और गौरक्षक समूहों के सक्रिय होने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।

भारत में बीफ अधिकांशत: गाय की तुलना में वॉटर बफैलो से आता है। गाय को हिंदू लोग काफी पवित्र मानते हैं, लेकिन स्थानीय मवेशी व्यापारी और बूचड़खाने लगातार ऐसे समूहों के निशाने पर आ रहे हैं, जो मीट के व्यापार का विरोध करते हैं। मुस्लिम ऑल इंडिया जमाएतुल कुरैश एक्शन कमेटी के प्रमुख अब्दुल फहीम कुरैशी ने बताया, “आदेश जो संगठित बाजारों में मवेशियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है, इसके मद्देनजर सरकार ने मांस उद्योग पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है। अगर इस कठोर आदेश को रद्द नहीं किया जाता है या न्यायालय इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाता है तो मांस की आपूर्ति भारत और दुनियाभर में काफी धीमी हो जाएगी।”


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