बजट 2017-18: राज्यों को बजटीय आवंटन में दिखेगी पारदर्शिता
केंद्रीय बजट में आवंटित किसी योजना का कितना धन केंद्र सरकार करेगी और कितना राज्य सरकार, इस बारे में अब कोई अस्पष्टता नहीं रहेगी
नई दिल्ली। केंद्रीय बजट में आवंटित किसी योजना का कितना धन केंद्र सरकार करेगी और कितना राज्य सरकार, इस बारे में अब कोई अस्पष्टता नहीं रहेगी। सरकार ने बजट में जो बदलाव किये हैं, उससे बाद यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि बजट में केंद्र व राज्यों को व्यय के लिए कितनी राशि मिलेगी। आम बजट 2017-18 में इस बदलाव की झलक देखने को मिलेगी।
वित्त मंत्रालय ने यह नयी शुरुआत आम बजट में सरकारी व्यय के योजनागत-गैर योजनागत व्यय के अंतर को खत्म करने के बाद की है। सरकारी खर्च का वर्गीकरण अब राजस्व और पूंजीगत के रूप में ही किया जाएगा।
इसलिए किसी विभाग का आवंटन इन दो श्रेणियों में मुख्यतः छह प्रकार से होगा जिसमें स्पष्टतः इस बात का उल्लेख होगा कि केंद्र के स्तर पर कितनी धनराशि खर्च होनी है और राज्य के स्तर पर कितनी। ऐसा होने पर राज्य सरकारें केंद्र से शिकायत नहीं कर सकेंगी।
केंद्र सरकार का व्यय तीन रूप में होगा। पहला, केंद्र का स्थापना व्यय, दूसरा- केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं और तीसरा- केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम और स्वायत्त संस्थाओं पर होने वाला व्यय। इस तरह इन तीनों श्रेणियों में व्यय केंद्र सरकार के स्तर पर ही होगा।
वहीं राज्यों के स्तर पर जो राशि खर्च की जाएगी, उसमें केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत आवंटन, वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप धन आवंटन और राज्यों को किसी अन्य रूप में होने वाला बजटीय आवंटन शामिल है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि बजट में आवंटित राशि के इस तरह वर्गीकरण की शुरुआत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने और केंद्र प्रायोजित योजनाओं का फंडिंग पैटर्न बदलने के बाद कई राज्यों ने यह कहकर केंद्र की आलोचना की थी कि उनका आवंटन कम कर दिया गया है।
यही वजह है कि नयी प्रणाली अधिक पारदर्शी होने की वजह से इस तरह की शिकायत करने का मौका नहीं मिलगा। बजट दस्तावेजों को देखकर सहज ही पता लगाया जा सकेगा कि कितनी धनराशि केंद्र के स्तर पर खर्च होगी और कितनी राशि राज्यों के स्तर पर।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट 2017-18 पेश करेंगे। यह बजट इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि रेल बजट के आम बजट में विलय के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण सुधार सरकार ने बजटीय प्रक्रिया में किए हैं।