एयर इंडिया है देश की सबसे ज्यादा संपत्तियां रखने वाली एयरलाइन्स, डिस्ट्रेस सेल से बचे सरकार
विमानन मंत्रालय एयर इंडिया के पुनरोद्धार के संबंध में सभी विकल्पों पर विचार विमर्श कर रहा है
नई दिल्ली (जेएनएन)। एयर इंडिया की मूर्त व अमूर्त संपत्तियां कंपनी के 52,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज बोझ को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। एयर इंडिया के सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार को मजबूर होकर की जाने वाली बिक्री यानी डिस्ट्रेस सेल से बचना चाहिए। घाटे में चल रही एयर इंडिया के निजीकरण की बात फिर से जोर-शोर से चल पड़ी है। विमानन मंत्रालय कंपनी के पुनरोद्धार के लिए सभी संभावित विकल्पों पर विचार कर रहा है।
सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया पर बैंकों का 52,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बकाया है। इसको ही बिक्री पर जोर देने की प्रमुख वजह माना जा रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बीते हफ्ते कहा था कि मंत्रालय एयर इंडिया के निजीकरण के तरीकों के बारे में सभी संभावनाओं पर विचार करेगा। नीति आयोग ने इस कंपनी के भविष्य के बारे में अपने सुझाव सरकार को सौंपे हैं। इनमें आयोग ने एयर इंडिया को पूरी तरह निजी हाथों में देने का प्रस्ताव भी दिया है।
एयर इंडिया के सूत्रों ने कहा कि कंपनी के कर्ज की बात करते समय सरकार को इसकी संपत्तियों को ध्यान में रखना चाहिए। इस एविएशन कंपनी के पास जितनी संपत्तियां हैं, उतनी देश में किसी और एयरलाइन के पास नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र की इस एयरलाइन के कुल कर्ज को पूरा करने के लिए उसके पास काफी संपत्तियां हैं। वर्ष 2007 में कंपनी का सकल मूल्य (ग्रॉस वैल्यू) तकरीबन 40,000 करोड़ रुपये आंका गया था। उसी साल इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में विलय किया गया था। सूत्रों की मानें तो सरकारी कंपनी का मौजूदा बाजार मूल्य 40 हजार करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा होगा।
हालांकि, संपत्तियों के मूल्य ह्रास को देखते हुए यह मूल्य कम से कम करीब 27,000 करोड़ रुपये हो सकता है। इन अनुमानों में एयर इंडिया की सहयोगी कंपनियों व अन्य कारोबारियों गतिविधियों को शामिल नहीं किया गया है।
बेड़े में नए विमान शामिल करने की योजना पर ब्रेक
निजीकरण का प्रस्ताव आते ही एयर इंडिया ने अपने बेड़े में नए विमान शामिल करने की योजना पर ब्रेक लगा दिया है। नीति आयोग ने इस सरकारी एयरलाइन को पूरी तरह निजी हाथों में देने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजा है। इसकी वजह से एयर इंडिया का भविष्य अनिश्चित हो गया है। इससे पहले इस एविएशन कंपनी के निदेशक बोर्ड ने नए विमान खरीदने का फैसला लिया था। ताजा प्रस्ताव के बाद नए विमानों की खरीद के लिए टेंडरों को टाल दिया गया है।
यह भी पढ़ें: एयर इंडिया का निजीकरण क्यों होना चाहिए, वित्त मंत्री ने गिनाए कारण