नोटबंदी पत्थर को अंडे मारने जैसा: अर्थशास्त्री
ऑस्ट्रेलिया के प्रख्यात अर्थशास्त्री हेन्ज डी कुर्ज ने का मानना है कि भारत में लिया गया नोटबंदी का फैसला मजबूत कदम नहीं था।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से बीते साल 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले को ऑस्ट्रेलिया के प्रख्यात अर्थशास्त्री हेन्ज डी कुर्ज ने ‘पत्थर को अंडे से मारने’ का प्रयास करार दिया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खात्म के लिए नोटबंदी एक मजबूत कदम नहीं है। कुर्ज ने कहा कि वास्तव में भारत सरकार ने भ्रष्टाचार के नये रास्ते खोले हैं।
कुर्ज ने बताया, “जहां तक मैं स्थिति को समझता हूं यह (नोटबंदी) कदम ‘पत्थर को अंडे से मारने’ का प्रयास साबित हुआ है। मुझे इस पर काफी संदेह है कि नोटबंदी भ्रष्टाचार को समाप्त कर देगी और अधिक पारदर्शिता लाएगी। यह कदम इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काफी कमजोर और भरमाने वाला है।”
कौन हैं कुर्ज:
कुर्ज ऑस्ट्रेलिया में यूनिवर्सिटी ऑफ ग्राज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने 2,000 रुपए का नोट पेश किया है। यह प्रतिबंध नोट के मूल्य का दोगुना या चार गुना है। इसे बमुश्किल नोटबंदी कहा जा सकता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई सराहनीय है, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ नोट पर पाबंदी के जरिए यह नहीं किया जा सकता है।’
नोटबंदी का भारत की आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर कुर्ज ने कहा, ‘अभी नोटबंदी के प्रभाव का आकलन करना जल्दबाजी होगी। दूसरा जो आंकड़े आएं हैं, वह मोटा-मोटी अनुमान है। इसमें संभवत: इसके प्रभव को शामिल नहीं किया गया है।’ गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोट पर पाबंदी लगा दी।