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वाइब्रेंट गुजरात समिट में बोले अरुण जेटली, देश में छद्म अर्थव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी

भारत सरकार देश का नवनिर्माण कर रही है। हमें सामान्य सरकार नहीं चलानी है। अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव करना है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 12 Jan 2017 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jan 2017 11:58 AM (IST)
वाइब्रेंट गुजरात समिट में बोले  अरुण जेटली, देश में छद्म अर्थव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। भारत सरकार देश का नवनिर्माण कर रही है। हमें सामान्य सरकार नहीं चलानी है। अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव करना है। छद्म इकोनॉमी को खत्म कर देना है। नोटबंदी व जीएसटी इसके लिए बेहद जरूरी हैं। नोटबंदी की वजह से आया व्यवधान बस कुछ समय के लिए है। इन दोनों कदमों के चलते टैक्स भरने से गुरेज करने वाले भी कर अदा करने लगेंगे। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में यह भी साफ कर दिया कि देश में छद्म अर्थव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पहले की सरकारें इसके सामने झुक गई थीं। अब देश इसके लिए तैयार नहीं है।

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यहां चल रहे सम्मेलन में ‘जीएसटी: गेम चेंजर फॉर द इंडियन इकोनॉमी’ विषय पर सेमिनार में वित्तमंत्री ने कहा कि भारत अब बदल रहा है। इसके लिए अर्थव्यवस्था में भी बड़े बदलाव की जरूरत है। वर्ष 1996 से सरकारें हालात से समझौता करती आ रही थीं। बीमारी दूर करने के लिए कड़वी दवा देने का कठोर फैसला जरूरी हो गया था। मोदी सरकार ने इस रवैये को बदलते हुए नोटबंदी का हिम्मतभरा कदम उठाया। दुनिया की निगाहें आज भारत पर टिकी हैं।

आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच सौ व हजार के नोट बंद करने के फैसले से दीर्घ और मध्यम अवधि में देश को लाभ होने वाला है। इसी तरह वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) पर केंद्र व रायों के बीच कुछ मुद्दों पर जल्द ही सहमति बनने से पहली अप्रैल से इसके लागू होने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके लिए जीएसटी काउंसिल की 16 जनवरी को बैठक होगी। जीएसटी लागू होने से फॉर्मल इकोनॉमी का विस्तार होगा और ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। नोटबंदी के बाद लेनदेन को डिजिटल बनाने की रफ्तार तेज हुई है। यह कदम भी अर्थव्यवस्था के हित में है। इन तीनों कदमों का परिणाम पहले से बड़ी, स्वछ व बेहतर अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आएगा।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा की पूरे देश में एक सामान टैक्स की व्यवस्था जीएसटी से व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। लंबे समय से ऐसे कानून की जरूरत राजनीतिक इछाशक्ति के अभाव में पूरी नहीं हो पा रही थी। आज 29 रायों और 90 दलों से गुजरकर जीएसटी लागू होने के करीब है।


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