बैंकिंग सेक्टर में बड़े मर्जर पर फैसला जल्द, सरकार की नजर इन बैंकों पर
SBI में छह बैंकों के विलय के बाद वित्त मंत्रालय कुछ हफ्तों में सरकारी बैंकों में एक और बड़े विलय की घोषणा करने जा रहा है
नई दिल्ली (जेएनएन)। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भले ही बेहद चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे हो लेकिन यह भी सच है कि इन बैंकों में सुधार को लेकर जितनी कोशिश अभी हो रही है उतनी पहले कभी नहीं हुई। इसका एक अहम उदाहरण सरकारी बैंकों में विलय को बढ़ावा देने का मुद्दा है जिस पर एक दशक से बात हो रही है लेकिन मोदी सरकार ने धीरे-धीरे मजबूती से इसे आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भारतीय स्टेट बैंक में छह बैंकों के विलय के बाद वित्त मंत्रालय अगले कुछ हफ्तों के भीतर सरकारी बैंकों में एक और बड़े विलय की घोषणा करने जा रहा है। तैयारी इस बात की है कि एक बड़े बैंक में एक मझोले व और एक छोटे बैंक का विलय किया जाए।
पहले चरण में वित्त मंत्रालय की नजर बैंक ऑफ बड़ौदा या केनरा बैंक पर है। इन दोनों को शीर्ष बैंक बनाकर इनमें से किसी एक में देना बैंक को शामिल करने पर चर्चा हो रही है। मझोले स्तर के जिन बैंकों के नाम पर विचार हो रहा है उसमें सिंडीकेट बैंक या विजया बैंक हो सकते हैं। बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग के साथ विचार-विमर्श के बाद सरकारी बैंकों में विलय की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। दरअसल, सरकारी बैंकों में एक साथ हर मोर्चे पर सुधार लाने की नीति लागू कर रही है। एक तरफ इन बैंकों में एनपीए घटाने का अभियान चल रहा है तो दूसरी तरफ विलय के जरिये बड़े वित्तीय संस्थान बनाने का काम भी किया जा रहा है। इस बारे में सरकार की मंशा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को साफ कर दी थी जब उन्होंने कहा कि हम बहुत ही तेजी से सरकारी बैंकों के विलय पर काम कर रहे हैं।
वित्त मंत्रालय ने उक्त तीनों बैंकों से विलय को लेकर उनकी स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी जिसे बैंक प्रबंधन ने दे दी है। सरकारी क्षेत्र में अभी 21 बैंक है। इसमें से देना बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे बेहद छोटे बैंक भी हैं। फंसे कर्जे की समस्या की वजह से इन बैंकों की माली हालात इतनी खराब हो चुकी है कि इन्हें नये हालात में कामयाब करने के लिए सरकार को भारी-भरकम राशि देनी पड़ेगी। ऐसे में विलय एक बेहतर विकल्प है। सरकार की मंशा आने वाले दो वर्षो में सिर्फ पांच या छह बड़े बैंक रखने की है।